कर्नाटक के बाजारों में मूंग की नई फसल की आने की शुरुआत हो गई है. मगर दालों के कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम चल रही हैं. इसकी वजह से मूंग के उत्पादक किसान इसकी जल्दी खरीद शुरू करने के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं. कमजोर मांग और आयात का असर कीमतों पर पड़ता दिख रहा है. ऐसी स्थिति तब है, जब मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में खरीफ रकबे में मामूली गिरावट और अनियमित बारिश के कारण प्रमुख उत्पादक राजस्थान में बुवाई में देरी हुई है.
व्यापार सूत्रों ने कहा कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान गडग और बागलकोट जैसे बाजारों में मूंग की आवक शुरू हुई. मॉडल की कीमतें (जिस दर पर अधिकांश ट्रेड हुए) न्यूनतम समर्थन मूल्य स्तर 7275 रुपये प्रति क्विंटल से काफी नीचे हैं.
बिजनेस लाइन के अनुसार, उत्तरी कर्नाटक के गडग के एक व्यापारी ने कहा, “अभी आवक बाकी है, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली मूंग के लिए कीमतें 6,000-6,300 रुपये प्रति क्विंटल और प्रीमियम गुणवत्ता के लिए 6,400 रुपये से 6,700 रुपये के बीच चल रही हैं. औसत क्वालिटी वाली मूंग 5,600-5,800 रुपये प्रति क्विंटल के दर से बिक रही है.”
राजस्थान मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक
मूंग, 60 दिनों की फसल है और कटाई की जाने वाली खरीफ फसलों में पहली है. उत्तरी कर्नाटक, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से किसान इसे उगाते हैं. 19 लाख हेक्टेयर से अधिक के सामान्य क्षेत्र के साथ राजस्थान मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक है. हालांकि, राजस्थान में मॉनसून के देर से आने के कारण इस साल इसकी बुवाई में देरी हुई, लेकिन नए अनुमानों के अनुसार, मूंग के रकबे में तेजी आई है और यह पिछले साल के 19.68 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है.
कर्नाटक में व्यापार सूत्रों ने कहा कि मूंग की मांग सुस्त है. एक व्यापारी ने कहा “हम त्योहारी सीजन में हैं और आगे चलकर खपत बढ़ने की संभावना है, जिससे कीमतें स्थिर रह सकती हैं. अगर कीमतें और नीचे आती हैं, तो किसान अपनी फसल नहीं बेचने का भी मन बना सकते हैं.”
जल्दी खरीद शुरू करने की मांग
मूंग की फसल के बाद उड़द की फलियां आती हैं, जो 85-90 दिनों में पक जाती हैं. प्रमुख उत्पादक क्षेत्र गडग में मॉडल रेट लगभग 5,532 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि कलबुर्गी में यह लगभग 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है. कर्नाटक रेड ग्राम ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहा- “मूंग की कीमतें फसल के मौसम की शुरुआत में ही एमएसपी स्तर से कम भाव पर बिक रही हैं. हम सरकार से खरीद प्रक्रिया को जल्द शुरू करने का आग्रह कर रहे हैं, क्योंकि किसानों के एक बड़े हिस्से के पास स्टोर करने की क्षमता नहीं है.
स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता
कर्नाटक में किसानों ने इस साल मूंग की अधिक बुवाई की है और रकबा 4.13 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है. एक मिल मालिक ने कहा, “जो कुछ भी हो रहा है, वह सीमित आधार पर हो रहा है और ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का भी उपज की आवाजाही पर असर पड़ रहा है.” मिलर ने कहा कि बेहतर गुणवत्ता के कारण स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दी जाएगी. इस साल मई में केंद्र ने कीमतों पर नजर रखने के लिए अरहर, उड़द और मूंग दालों के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था.