सवाई माधोपुर के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर लौट रहे लोगों की कार को गिट्टी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने टक्कर मार दी। हादसे में कार में सवार मां और उसके दो मासूम बच्चाें की मौत हो गई, वहीं 6 लोग घायल हो गए। हादसा बूंदी के दुर्गापुरा इलाके में रविवार रात 8 बजे हुआ।
टक्कर इतनी भीषण थी कि 9 लोग कार में बुरी तरह फंस गए। इस दौरान मौके पर भी भीड़ जमा हो गई, लेकिन किसी ने घायलों को बाहर तक नहीं निकाला। करीब आधे घंटे बाद गोठड़ा से 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंची। इसके बाद सभी घायलों को कार से निकालकर एंबुलेंस से हिण्डोली अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने रीना (28) पत्नी राजू सैनी, केशव (3) पुत्र राजू और कृष्णा (7) पुत्री राजू को मृत घोषित कर दिया। वहीं हादसे में घायल 6 लोगों को बूंदी जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
दबलाना थाना प्रभारी रमेश मेरोठा ने बताया कि सड़क हादसे में मां, बेटी और बेटे की मौत हो गई है। हादसे के बाद ट्रैक्टर ड्राइवर मौके से फरार हो गया। ट्रैक्टर ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।
घायलों को नहीं पता, परिवार के 3 लोग नहीं रहे
हादसे में रूपेश (12), आयूष (11), मिश्रीलाल (50), देवकिशन, सलोनी, किशन (60) गंभीर घायल हो गए। इनमें से कोई नहीं जानता कि उनके परिवार के 2 मासूम और उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं है। जिस कार से हादसा हुआ, वह कोटा के किशन सैनी की है, किशन ही कार चला रहा था।
प्रत्यक्षदर्शी पंकज बरमुंडा ने बताया कि हम हादसे के दौरान वे गोठड़ा से हिंडोली आ रहे थे। कार में सवार सभी लोग फंसे हुए थे। यह देखकर हमने और वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें बाहर निकालने में सहयोग किया।
घायलों को अस्पताल में नहीं मिली व्यवस्था
हादसे के बाद सभी घायलों को एंबुलेंस की मदद से हिण्डोली अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां पर मात्र एक ही डॉक्टर था, इसके साथ ही पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिला। काफी देर तक घायल एंबुलेंस में पड़े रहे। उन्हें उतारने के लिए भी ग्रामीणों का सहारा लेना पड़ा। अस्पताल में व्यवस्था नहीं मिलने पर मौके पर मौजूद लोगों ने आक्रोश जताया।
मृतक महिला की पति से दिन में हुई थी बात
मृतक महिला रीना के पति राजेश उर्फ राजू सैनी ने अस्पताल में बताया कि मेरे ससुराल पक्ष में कार्यक्रम था। ऐसे में मेरी पत्नी और तीनों बच्चे मेरे पिता, ससुर और अन्य सदस्यों के साथ सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गए थे।
राजू ने बताया कि मैं किराने की दुकान चलाता हूं, इसलिए इस कार्यक्रम में नहीं जा पाया था। दिन में मेरी पत्नी से बात हुई थी और सब खुश थे। हंसी-खुशी से बात की। रात को हमारे पास हादसे की सूचना आई तो जैसे मेरे ऊपर दुख का पहाड़ टूट गया। पत्नी के साथ दो मासूम बच्चों की मौत की सूचना मेरे लिए जीवनभर का सदमा है।
एनएच 148 डी पर नहीं है सुरक्षा व्यवस्था
148 डी राष्ट्रीय राजमार्ग पर आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, लेकिन यहां पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल संचालकाें द्वारा चलाने वाले वाहन का कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में दुर्घटना होने पर लोग काफी देर तक घटनास्थल पर ही पड़े रहते हैं और कई घायलों को समय पर इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 148 डी के टोल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।