मनु भाकर के शूटर बनने की कहानी भी बेहद चिलचस्प है। क्योंकि मनु के माता और पिता बेटी को कुछ और ही बनाना चाहते थे। मां डॉ. सुमेधा भाकर बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थीं। वहीं पिता की ख्वाहिश थी कि बेटी बॉक्सर बने। लेकिन मनु और उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हालांकि मनु ने शूटिंग से पहले अन्य खेलों में भी खुद को आजमाया है। मनु ने बॉक्सिंग, आर्चरी, टेनिस और स्केटिंग की भी प्रैक्टिस की है, लेकिन उन्हें ये सब पसंद नहीं आया और अंत में उन्होंने शूटिंग को चुना।
मनु की मां डॉ. सुमेधा भाकर स्कूल प्रिंसिपल हैं। वह चाहती थीं कि उनकी बेटी डॉक्टर बने। स्कूल के शिक्षक ने उनकी मां को मनु को खेलों में डालने की सलाह दी। शिक्षक ने कहा कि अगर मनु डॉक्टर भी बन गई तो उसे कौन जानेगा। यदि मनु खेलों में देश के लिए मेडल जीतेगी तो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उसे जानेगी। उनकी मां को शिक्षक की सलाह सही लगी। इसके बाद मनु ने खेलों को अपनाया।
वहीं मनु के पिता रामकिशन उसे बॉक्सर बनाना चाहते थे। मनु के बडे़ भाई बॉक्सिंग करते थे। इसलिए मनु भी बॉक्सिंग करने लगी। राष्ट्रीय स्तर पर मेडल भी जीते। एक दिन प्रैक्टिस करते हुए मनु के आंख पर चोट लग गई। इससे आंख सूज गई थी। चोट लगने के बाद मनु ने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया। बॉक्सिंग के बाद मनु ने मार्शल आर्टस खेला, लेकिन मनु को लगा कि इस गेम में चीटिंग होती है।