सरसों के अच्छे दाम को देखते हुए इस बार इसकी बुवाई में भारी वृद्धि की उम्मीद है. देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक प्रदेश राजस्थान में इस साल इसके रकबे में जबरदस्त उछाल आया है. यहां रबी सीजन में बुवाई के कुल क्षेत्र का करीब 33 फीसदी हिस्सा सरसों का ही होने का अनुमान है. राज्य में रबी सीजन के दौरान आम तौर पर 95 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई होती है. जबकि इस वर्ष सितंबर महीने में अच्छी बारिश की वजह से इसे एक करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचने का अनुमान है.
सरसों एवं चने की बुवाई अधिक क्षेत्र में हुई है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में सरसों का क्षेत्र औसतन 27 लाख हेक्टेयर रहता था, जिसे इस वर्ष बढ़कर 33 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने का अनुमान है. बता दें कि देश के कुल सरसों उत्पादन का 40.82 फीसदी अकेले राजस्थान पैदा करता है. यहां इसके एरिया में 6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि से कृषि वैज्ञानिक खुश हैं.
इन राज्यों का भी योगदान कम नहीं
राजस्थान के अलावा जिन राज्यों में सरसों की खेती (Mustard Farming) होती है उनमें हरियाणा, मध्य प्रदेश, यूपी और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. हरियाणा में देश का करीब 13.33 फीसदी सरसों पैदा होता है. मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 11.76 फीसदी की है. जबकि उत्तर प्रदेश 11.40 और पश्चिम बंगाल कुल उत्पादन में 8.64 परसेंट का योगदान देता है. बताया गया है कि इन सबमें बुवाई के क्षेत्र में वृद्धि हुई है.
राष्ट्रीय स्तर पर कितनी वृद्धि?
देश में सरसों की बुवाई का सामान्य एरिया 61.55 लाख हेक्टेयर है. रबी सीजन 2020-21 में 65.97 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी. जबकि 2021-22 में इसे बढ़कर 81.66 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है. यानी इस बार इसके बुवाई क्षेत्र में 15.69 लाख हेक्टेयर की वृद्धि का अनुमान है.
क्यों बढ़ा सरसों की फसल का दायरा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ. डीके यादव का कहना है कि दो कारणों से सरसों की फसल की बुवाई में वृद्धि दिख रही है. पहला फैक्टर दाम है और दूसरा अच्छा मौसम. मध्य दिसंबर आ गया है. लेकिन अब तक हर जगह से अच्छी फसल की खबर आ रही है. कहीं कीटों का प्रकोप नहीं है.
सितंबर के अंतिम और अक्टूबर के पहले सप्ताह में अच्छी बारिश (Rain) की वजह से फसलों का दायरा बढ़ा है. कई जगहों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से करीब डबल दाम पर सरसों की बिक्री हुई है. इसलिए कुछ राज्यों में भारी बारिश की वजह से एक बार बुवाई प्रभावित होने के बाद किसानों ने दूसरी बार बुवाई की है.