नवजोत सिद्धू का प्रधान पद से इस्तीफा:18 जुलाई 2021 को बने थे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष

Aarjoo Sethi

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क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रधान के पद से इस्तीफा दे दिया है। सिद्धू 18 जुलाई 2021 को पंजाब प्रदेश के प्रधान नियुक्त किए गए थे। उन्होंने 2017 में कांग्रेस जॉइन की थी। इससे पहले सिद्धू अप्रैल 2016 में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए हुए थे, लेकिन उन्होंने 18 जुलाई 2016 को इस पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उनका नाम अकसर विवादों से जुड़ा रहता है।इस्तीफे पर लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष की इच्छा के मुताबिक उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है। सोनिया गांधी ने बुधवार को चुनाव हारने वाले वाले पांचों राज्यों के प्रधानों से इस्तीफे की मांग की थी, जिसके बाद आज सुबह नवजोत सिंह ने अपना इस्तीफा भेज दिया।

सितंबर 2016 में बनाई थी आवाज-ए-पंजाब
सिद्धू ने बैंस ब्रदर्स के साथ नई पार्टी आवाज-ए-पंजाब बनाई थी, लेकिन बाद में इसे छोड़कर 2017 में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू का अपनी ही पार्टी में विरोध होता रहा है। उनकी शब्दावली को लेकर भी विरोध रहा है। सुनील जाखड़, सुखजिंदर सिंह रंधावा जैसे सीनियर लीडर्स ने हार का ठीकरा सिद्धू के सिर ही फोड़ा था। उनका कहना था कि सिद्धू ने उनका राजनीतिक कत्ल कर दिया है, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा से कहते रहे हैं कि उनके लिए कुर्सी मायने नहीं रखती, बल्कि पंजाब मायने रखता है, इसीलिए वे इस्तीफा देने से पहले सोचते नहीं है।

 

भाजपा विधायक भी रह चुके हैं सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू 2004 से 2014 तक अमृतसर ईस्ट से भाजपा के विधायक भी रहे। सिद्धू टूरिज्म और कल्चरल मंत्री भी रहे, लेकिन इस पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की एक प्रति ट्वीट कि जिस पर 10 जुलाई 2019 तारीख थी और उसे राहुल गांधी को संबोधित किया गया था। 20 जुलाई 2019 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। बाद में, सिद्धू ने बेअदबी मामले से निपटने के लिए पंजाब सरकार की खुले तौर पर आलोचना की, हालांकि पार्टी ने इसे विचारों की विविधता करार दिया। सिद्धू ने चन्नी सरकार के दौरान डीजीपी और एजी की नियुक्ति को लेकर विवाद होने पर भी पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन हाईकमान ने उस समय उनके इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं लिया और सिद्धू काम करते रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान चन्नी को कांग्रेस द्वारा CM चेहरा बनाए जाने के बाद सिद्धू ने राहुल गांधी को स्पष्ट कर दिया था कि हार-जीत की जिम्मेदारी चन्नी की होगी। हालांकि अब उन्हें इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव में हुई हार की समीक्षा करते हुए सोनिया गांधी ने इसका आदेश दिया।