नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से मंगलवार को इस्तीफा दिया।

Parmod Kumar

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पंजाब की राजनीति में पिछले कई महीनों से उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह राजनीतिक तूफान रह-रहकर भूचाल ला रहा है. इस बीच पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि उन्होंने कांग्रेस में बने रहने की बात कही है. सिद्धू ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है.

दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह के राज्य के मुख्यमंत्री के पद से हटने के बमुश्किल 10 दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया. पंजाब कांग्रेस इकाई में चल रहा संकट पार्टी के लिए अशुभ साबित हो सकता है क्योंकि वह 2022 के विधानसभा चुनावों में फिर से चुनाव की तैयारी कर रही है.

सिद्धू ने अपने इस्तीफे की घोषणा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा, ‘एक आदमी के चरित्र का पतन समझौता करने के कोने से उपजा है. मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता. इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देता हूं. मैं कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा.’

 

बताया जा रहा है कि अमृतसर के पुलिस कमिश्नर नवजोत सिंह सिद्धू से पूछे बिना हटाए जाने और नया कमिश्नर लगाए जाने से भी सिद्धू नाराज थे. वहीं, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से पिछले कुछ दिनों से लगातार नवजोत सिंह सिद्धू को साइडलाइन किया जा रहा था और अपने साथ किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जा रहा था.

सूत्रों के मुताबिक, सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह मंत्रालय दिए जाने से भी सिद्धू नाराज हो गए. सिद्धू को उम्मीद थी जब जट सिख चेहरे के तौर पर सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम आगे किया गया और उसके बावजूद उनको सीएम नहीं बनाया गया तो आलाकमान बतौर जट सिख और लोकप्रिय चेहरे के नाम पर विचार करेगा लेकिन ऐसा नहीं होने से भी नवजोत सिंह सिद्धू नाराज थे.