सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा पास कराने के नाम पर 37 अभ्यर्थियों से ठगी के प्रयास के मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस दावा कर रही है कि जालसाजों ने नकली प्रश्न पत्र से अभ्यर्थियों को ठगने की योजना बनाई थी। किसी भी अभ्यर्थी से कोई रकम नहीं ली गई। पेपर होने के बाद पैसे देने का सौदा तय हुआ था। अब सवाल उठता है कि अगर असली पेपर लीक नहीं होता तो अभ्यर्थी जालसाजों को पैसे क्यों देते?
एसीपी गोहाना राहुल देव ने प्रेसवार्ता में स्पष्ट किया है कि यूजीसी-नेट परीक्षा में अभ्यर्थियों को पास कराने का दावा करने वाले गिरोह का तंत्र खोखला था। अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र मिलने का झांसा देकर रकम वसूलने की यह साजिश नकली प्रश्नपत्र और झूठे भरोसों पर टिकी थी। इसका असली परीक्षा से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था।
गिरोह ने न केवल युवाओं के करियर से खिलवाड़ किया बल्कि उन्हें सुनहरे भविष्य और सरकारी नौकरी के सपने दिखाकर ठगी के जाल में फंसाया। पुलिस जांच में साफ हुआ कि 18 दिसंबर को हुई सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा का प्रश्नपत्र कहीं से भी लीक नहीं हुआ था बल्कि यह पूरा मामला योजनाबद्ध धोखाधड़ी का था।
परीक्षा माफिया की तर्ज पर रची गई साजिश
जांच में सामने आया है कि गिरोह ने ठगी को परीक्षा माफिया की तरह अंजाम देने का प्रयास किया। 37 अभ्यर्थियों को एकत्र कर उन्हें टेंपो ट्रैवलर में बैठाकर एक स्थान पर ले जाना और फिर कथित प्रश्नपत्रों से पूरी रात अभ्यास कराना हर कदम इस तरह रचा गया था कि किसी को शक की गुंजाइश न रहे। गिरोह ने प्रत्येक अभ्यर्थी से तीन से चार लाख रुपये में नेट पास कराने का सौदा तय किया था। अभ्यर्थियों को भरोसा दिलाया था कि वही प्रश्नपत्र परीक्षा में आएंगे जो उन्हें पहले से उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
बंद संस्थान को बनाया कोचिंग सेंटर
अभ्यर्थियों को गांव चिड़ाना स्थित बंद पड़े रयात बाहरा इंस्टीट्यूट की इमारत में ठहराया गया जहां वर्तमान में नरवाल कबड्डी अकादमी संचालित हो रही है। इसी इमारत को अस्थायी कोचिंग सेंटर का रूप दिया गया।
नेटवर्क की परतें खोलेगी एसआईटी
मामले में एसीपी अजीत सिंह की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह के सदस्यों के ठिकाने दिल्ली, जयपुर और चंडीगढ़ में भी हैं। आर्थिक लेनदेन, पुराने मामलों और नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है।
पेपर लीक में आरोपी रह चुके एक युवक के जुड़े होने की चर्चा
इस प्रकरण में गोहाना क्षेत्र के रहने वाले एक युवक के जुड़े होने की भी चर्चा है। यह युवक पेपर लीक में पहले नामजद रहा है। हालांकि, पुलिस अभी इसे लेकर कुछ नहीं बोल रही है। जिस संस्थान में मामला पकड़ा गया वहां तीन-चार माह पहले हुए हवन में युवक शामिल था।
हर फर्जीवाड़े में जुड़ जाता है सोनीपत का नाम
महत्वपूर्ण परीक्षाओं में फर्जीवाड़े में सोनीपत के युवकों के नाम पहले भी जुड़े हैं। पेपर सॉल्वर गैंग हो या पेपर लीक से जुड़ा मामला, यूपी में एसएससी का पेपर हो या फिर एआईपीएमटी और हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा (एचटेट) के लेवल-3 का पत्र लीक का मामला इन सभी के तार कहीं न कहीं सोनीपत से जुड़े मिले थे। यूटी में एएसआई भर्ती की लिखित परीक्षा में फर्जी उम्मीदवार भी सोनीपत का पकड़ा गया था। साथ ही बिचौलिया भी सोनीपत का ही था।
सोनीपत में कब-कब आए मामले
-अगस्त, 2023 में यूटी पुलिस में एएसआई की भर्ती में सोनीपत के गांव बजाना का सतीश पकड़ा गया था। सतीश की गिरफ्तारी पर चंडीगढ़ पुलिस को पता लगा कि वह बिचौलिया गांव के ही दलबीर के माध्यम से आशीष का पेपर देने को तैयार हुआ था।
-17 जुलाई, 2021 को पानीपत में दर्ज मामले में पेपर सॉल्वर गैंग से पर्दा उठा था। इसमें कई युवा पकड़े थे।
-15 दिसंबर, 2021 को पेपर सॉल्वर गैंग के गांव शामडी के रोबिन को पकड़ा था। मामले में पता लगा था कि 14 परीक्षाओं के पेपर गैंग अपनी लैब में परीक्षा केंद्र बनवाकर उन्हें हल कराता था। पुलिस का दावा था कि वह वर्ष 2013 से गैंग से जुड़ा था। उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख का इनाम रखा गया था। वह उस समय दिल्ली पुलिस में सिपाही था।
-27 अगस्त, 2019 को भर्ती बोर्ड के चेयरमैन व सीआरपीएफ चंडीगढ़ के द्वितीय कमांडेंट ने राई थाना में शिकायत दी थी कि ग्रुप केंद्र खेवड़ा में सीआरपीएफ सिपाही भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में कई अभ्यार्थियों ने दूसरे से परीक्षा दिलवाई थी। बाद में वह फिजिकल देने खुद आ गए थे। इस मामले में प्रदेशभर के 20 से अधिक युवक गिरफ्तार हुए।
-14 नवंबर, 2015 को जींद में एचटेट परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले में सोनीपत के कई लोगों के नाम सामने आए थे। इसमें कई गिरफ्तारी भी हुई थी। पेपर की आंसर-की मिलने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया था।
-एचटेट से पहले यूपी में नवंबर, 2014 में एसएससी की परीक्षा लीक होने के मामले में भी सोनीपत के राहुल का नाम सामने आया है। आरोप था कि वह पहले दिल्ली के अरविंद के गिरोह में काम करता था। अरविंद के जेल जाने के बाद राहुल ने कमान संभाल ली थी।














































