जिसके बाद बुधवार सुबह 10 बजे राज्य पार्टी मुख्यालय में विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें नये नेता का चयन किया जाएगा। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में मौजूद रहेंगे। सोमवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई नेताओं से मुलाकात के बाद त्रिवेंद्र रावत मंगलवार को देहरादून लौटे और शाम करीब 4 बजे राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए रावत ने बताया, ‘पार्टी ने सामूहिक रूप से यह निर्णय किया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए।’ रावत ने कहा कि उनके 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने में केवल 9 दिन कम रह गये हैं और उन्हें इतना ही मौका मिला। इस्तीफे की वजह पूछे जाने पर रावत ने कहा, ‘यह पार्टी का सामूहिक निर्णय होता है। इसका अच्छा जवाब पाने के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा।’ रावत ने अपने उत्तराधिकारी को शुभकामनाएं भी दीं। 18 मार्च 2017 को शपथ लेने के बाद से मंत्रिमंडल विस्तार सहित कुछ बातों को लेकर भाजपा विधायकों में असंतोष की बातें गाहे-बगाहे उठती रहीं। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों ने शनिवार शाम तब जोर पकड़ लिया, जब रमन सिंह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार सिंह ने अचानक देहरादून पहुंचकर कोर ग्रुप की बैठक ली। यह बैठक पहले से प्रस्तावित नहीं थी और यह ऐसे समय बुलाई गयी जब प्रदेश की नयी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था। कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत का इस्तीफा 4 साल से चल रहे भ्रष्टाचार और नाकामियों पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश है। यादव ने कहा, ‘4 महीने पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाकर इस आदेश पर स्थगन लेने की कोशिश की। अब मुख्यमंत्री के इस्तीफे से सारे घोटाले सामने आ गए हैं। रावत का इस्तीफा नाकाफी है। हमारी मांग है कि राष्ट्रपति महोदय इस स्थिति का संज्ञान लें और सरकार को बर्खास्त करें। राष्ट्रपति शासन लगाकर नये सिरे से चुनाव कराया जाये।’