पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में किसानों के विरोध के कारण सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को 2,731.32 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह जानकारी संसद को बुधवार को दी गई. राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन ने अक्टूबर 2020 से पथकर वसूली संग्रह को प्रभावित करना शुरू कर दिया था.
उन्होंने कहा कि शुरू में पंजाब में अक्टूबर 2020 में आंदोलनकारी किसानों द्वारा टोल प्लाजा के परिचालन को ठप्प कर दिया गया था. मंत्री ने कहा, ’यह अंततः पूरे हरियाणा के पड़ोसी राज्यों और राजस्थान के कुछ हिस्सों में फैल गया. किसान आंदोलन के कारण कुल मिलाकर 60 से 65 एनएच टोल प्लाजा के संचालन प्रभावित हुए, जिसके परिणामस्वरूप 2,731 करोड़ रुपये के टोल संग्रह का नुकसान हुआ.’ एक अलग सवाल का जवाब देते हुए, गडकरी ने कहा कि मंत्रालय ने विभिन्न परियोजनाओं के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 12,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का लक्ष्य रखा है, जिनमें से कुछ को 2021 में पूरा किया जाना है.
बीजेपी सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन लगातार जारी है. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में आज खाप पंचायतों (Khap Panchayat) ने एक आपातकाल बैठक बुलाई. इसमें फैसला लिया गया कि जब तक केंद्र सरकार हमारी सभी मांगें पूरी नहीं करेगी, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. हमें हरियाणा की बीजेपी सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है.
खाप पंचायतें अहम भूमिका निभा रही हैं
किसानों का कहना है कि हरियाणा सरकार 2016 वाला प्रकरण दोहरा सकती है, 2016 में भी हरियाणा की बीजेपी सरकार ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने का ऐलान किया था, लेकिन आज तक हरियाणा के युवा जेलों में बंद है. 3 कृषि कानूनों की वापसी की मांग (Three Agriculture Law return) को केंद्र सरकार ने मान लिया है. लोकसभा और राज्यसभा में दोनों जगह तीनों कृषि कानूनों को वापस केंद्र सरकार ले भी चुकी है, लेकिन अब किसान संगठन अपनी अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में खाप पंचायतें अहम भूमिका निभा रही हैं.