संयुक्त मोर्चे की मनाही का असर नहीं, अब टीकरी बॉर्डर पर बना पक्का मीटिंग हॉल, निभाई हरियाणवीं रस्म 

Parmod Kumar

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कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों ने कुंडली बॉर्डर पर पक्का निर्माण करना शुरू किया था। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद इसे रोक दिया गया था। इसके बाद कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक में फैसला लिया गया कि किसी भी धरनास्थल पर पक्का निर्माण नहीं किया जाएगा। लेकिन बहादुरगढ़-दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर किसान पक्का मोर्चा बनाने में जुटे हुए हैं। यहां किसानों ने एक मीटिंग हॉल का निर्माण किया है। हरियाणवी परंपरा के अनुसार नए मकान में प्रवेश करने से पहले उसके गेट पर घर की बहन-बेटियों द्वारा शगुन के तौर पर एक तोता बांधे जाने की रस्म निभाई जाती है। उसी की तर्ज पर टीकरी बॉर्डर में किए गए नए निर्माण पर भी रोहतक के टिटौली गांव की महिला किसान अमृता ने तोता बांधा और उसके बाद इसमें प्रवेश किया। किसान जयवीर कुंडू, भूप सिंह, अमृता सिंह का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अभी नहीं मानेगी, इसलिए वे यहां पर पक्का मोर्चा बनाने के लिए पक्के मकान बना रहे हैं। यहां पर किसान आराम और बैठक कर सकते हैं। इसके हाल में पंखे भी लगाए गए हैं। जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक वे लौटने वाले नहीं हैं। रोहतक जिले के गांव टिटौली के किसानों ने बताया कि वे अपने गांव से 27 नवंबर को यहां पहुंचे थे। तभी से डटे हुए हैं। यहां उन्होंने किसान भवन बनाया है। किसान विश्राम कर सकते हैं। आने वाला मौसम गर्मी का है। गर्मी व मच्छरों से बचने के लिए यह निर्माण किया गया है। इसके निर्माण में सीमेंट का नहीं बल्कि मिट्टी का प्रयोग किया गया है। उनका कहना है कि वे बनाए गए मकानों को भी नहीं हटाएंगे, चाहे यहां पर कोई आ जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस भी यहां पर पहुंची थी और किसानों से पूछताछ कर लौट गई। कुंडली बॉर्डर पर भी किसानों ने पक्के निर्माण शुरू किए थे। पुलिस ने जब किसानों ने पूछा, वह किसकी मंजूरी लेकर यह सब कर रहे हैं तो किसानों ने पुलिस से कहा कि सरकार ने किसकी मंजूरी से कृषि कानूनों को बनाया था। इसलिए पहले मोदी से जाकर पूछे कि जब किसानों से कानून बनाने के लिए नहीं पूछा गया तो किसान निर्माण करने के लिए क्यों किसी से पूछेंगे। निर्माण जारी रहने पर एनएचएआई अधिकारियों ने अज्ञात किसानों पर मुकदमा दर्ज कराया था। नगर पालिका अधिकारियों ने सड़क पर बोरवेल करवाने पर मुकदमा दर्ज कराया था। विवाद बढ़ने पर रविवार को कुंडली और टीकरी बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चे ने एलान किया था कि कुंडली और टीकरी बॉर्डर धरनास्थल पर किसान अब पक्के निर्माण नहीं करेंगे और न ही कोई सबमर्सिबल पंप लगाया जाएगा। मोर्चे ने साथ ही कहा कि किसान ऐसा कोई काम न करें जिससे विवाद बढ़े और आंदोलन कमजोर हो। वहीं धरनास्थल पर मौसम के अनुसार खाद्य पदार्थों में बदलाव किया जाने लगा है। सर्दी में शुरू हुई जलेबी अभी भी बनाई जा रही है। जबकि पूड़ी की जगह रोटी ने ले ली है। रोटी बनाने की इच्छा किसानों ने जताई है। गर्मी से बचने के लिए फूंस व बांस की झोपड़ी बनाई गई है और उनमें तिरपाल की जगह जाली लगाई गई है। टेंट के ऊपर काला तिरपाल डाला गया है ताकि धूप से बचा जा सके। इस तरह से पूरी व्यवस्था मौसम बदलने के बाद शुरू हो गई है।