अब अमरिंदर सिंह कांग्रेस पर ‘ट्रिपल अटैक’ की तैयारी कर रहे है, जानिए 3 दिन के दिल्ली दौरे का सियासी गणित

Parmod Kumar

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पंजाब में विधानसभा चुनाव के दिन क़रीब आ रहे हैं वहीं पंजाब कांग्रेस की दिन पर दिन मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस में जारी सियासी घमासान के बीच अब कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले 15 दिन के अंदर नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। क़रीब एक दर्जन कांग्रेसी नेता भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ संपर्क में हैं। कैप्टन के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद से ये क़यास लगाए जा रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। हाल ही में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात भी की थी। राजनीतिक गलियारों में यह भी हलचल है कि कैप्टन ‘ट्रीपल अटैक’ की तैयारी में हैं।

मास्टर स्ट्रोक की तैयारी में कैप्टन

कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली से चंडीगढ़ लौटने के बाद ये साफ़ कर दिया की वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने कांग्रेस में नहीं रहने की बात भी साफ़ कर दी है। वहीं उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते हुए कि आगामी विधानसभा चुनाव में सिद्धू जहां से भी चुनाव लड़ेगा वहां से मैं उसे जीतने नहीं दूंगा। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के लिए सही नहीं है। सूत्रों की मानें तो अमरिंदर सिंह जल्द कुछ किसान संगठनों से मुलाक़ात कर नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि कई कांग्रेसी विधायक और नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन में हैं। वह कैप्टन के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं। आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह साढ़े 9 साल पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं, उनका 5 दशक का राजनीतिक करियर है।

‘कैप्टन फ़ॉर 2022’

पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह धमाकेदार वापसी करने वाले हैं। ‘कैप्टन फ़ॉर 2022′ का पोस्टर शेयर कर कैप्टन के सलाहकार नरिंदर भांबरी इसका इशारा कर चुके हैं। सीएम पद से इस्तीफ़ा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ़ तौर पर कहा था कि फ़ौजी हूं, बेइज़्ज़त होकर मैदान नहीं छोड़ेंगे। ग़ौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है जो पंजाब में नए सियासी समीकरणों की तरफ इशारा कर रही है। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।

बाज़ी पलटने की तैयारी

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामे बग़ैर कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब की सियासत की बादशाहत कैसे हासिल करेंगे ये एक बड़ा सवाल है।वही राजनीतिक जानकारों कहना है कि कैप्टन अगर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते हैं तो किसानों में यह ग़लत मैसेज जाएगा कि कैप्टन में अपनी सियासी ज़मीन मज़बूत करने के लिए किसानों का सहारा लिया। वहीं तीन कृषि कानूनों के लेकर केन्द्र सरकार अडिग है, कैप्टन इस फ़िराक में हैं कि किसी तरह वह कृषि क़ानून वापस लेने के लिए केंद्र सरकार को मना लें ताकि किसान उनके समर्थन में आ जाएं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ये मैसेज बिलकुल भी नहीं देने चाहती की विधानसभा चुनाव में किसानों की वजह से झुकना पड़ा। क्योंकि ऐसा होने पर वह भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ जाएगी। इसलिए कहीं न कहीं भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रस्ताव को मान सकती है।

कैप्टन ने बनाई जाट महासभा

सियासी गलियारों में यह भी हलचल है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जिस पार्टी का गठन करंगे वह केंद्र सरकार से बातचीत में अगुवाई करेगा। इसी बातचीत में कृषि कानून वापस कराने की पूरी भूमिका तय की जाएगी। एक औऱ विकल्प यह भी है कि समर्थन मूल्य यानी MSP गारंटी कानून लाया जाए। ग़ौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों में पंजाब के हर परिवार का व्यक्ति शामिल है। कैप्टन की यह कोशिश अगर कामयाब हो जाती है तो हक़ीक़त कैप्टन ही पंजाब की कप्तानी करते नज़र आएंगे। आपको बता दें कि कैप्टन ने पंजाब में जाट महासभा भी बनाई है, जिसमें कई बड़े किसान भी जुड़े हैं। यह भी कैप्टन का एक विकल्प हो सकता है।

कैप्टन को मिलेगा किसानों का साथ !

कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं होगा क्योंकि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन पंजाब से ही शुरू हुआ था। कैप्टन ने आंदोलन में किसानों का खुला समर्थन किया। किसानों के दिल्ली तक पहुंचाने में कैप्टन ने अहम किरदार निभाया। हरियाणा में किसानों पर लाठीचार्ज होने पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर को आड़े हाथो लिया था। किसानों की बात नहीं सुनी जा रही थी तो केंद्र सरकार पर भी हमले किए। जब भी किसान नेताओं को जरूरत पड़ी कैप्टन अमरिंदर सिंह उनके साथ डटकर खड़े रहे। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसान नेताओं की ज़रूरत है उन्हें किसानों की हमदर्दी मिलनी तय है। क्योंकि किसान नेताओं के साथ कैप्टन के अच्छे संबंध हैं। ग़ौरतलब है कि किसानों ने अपने आंदोलन के दौरान राजनीतिक दलों का बहिष्कार किया था, लेकिन कैप्टन का लड्‌डू खिलाकर आभार जताया था।

पंजाब की आर्थिक स्थिति

पंजाब की आर्थिक स्थिति कृषि पर ही आधारित है, यहा की 75% आबादी खेतीबाड़ी से जुड़ी है। यहां की खेती से न सिर्फ़ बाजार चलता है, बल्कि ज्यादातर इंडस्ट्रीज भी ट्रैक्टर से लेकर खेतीबाड़ी तक का सामान बनाती हैं। 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 77 सीटों पर किसानों के वोट बैंक का बहुत बड़ा किरदार है। पंजाब के ज़्यादातर गांव के किसान कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। कैप्टन के उठाए गए क़दम से अगर कृषि कानून वापस हो गए या संयुक्त किसान मोर्चा की सहमति से कोई हल निकल आए तो कैप्टन पंजाब के सुप्रीम यानी सबसे बड़े लीडर होंगे और पार्टी की बात पीछे छूट जाएगी। आपको बता दें कि साल 2002 और 2017 में कैप्टन के नाम पर ही पंजाब में कांग्रेस सत्ता में आई थी।

कैप्टन की सियासी मुलाक़ात

सियासत में मुलाकात के पीछे मुद्दों से कहीं ज्यादा उसमें छिपा संदेश अहम होता है। कांग्रेस ने कैप्टन को CM की कुर्सी से हटा दिया। यानी कांग्रेस ने साफ तौर पर कैप्टन के दौर को खत्म मान लिया, लेकिन BJP ने यहीं से अपना दांव शुरू किया है। कैप्टन CM रहते हुए भी कई बार शाह से मिले, लेकिन बुधवार की मुलाकात कुछ अलग थी। जरा वो बात भी याद कीजिए जब कैप्टन ने कहा कि वे दिल्ली में अपने कुछ दोस्तों से मिलेंगे। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद भी कैप्टन ने कहा था कि 52 साल के राजनीतिक करियर में कई दोस्त बने हैं। वहीं कैप्टन से नजदीकियां दिखाकर BJP ने कांग्रेस को संदेश दिया कि कैप्टन के अंदर अभी बहुत सियासत बाकी है।