इस योजना का मकसद भारतीय भाषा के माध्यम से छात्रों को पढ़ाई के अलावा शोध से जोड़ना है। खास बात यह है कि तकनीकी कॉलेजों को 12 उभरते क्षेत्रों में 12 क्षेत्रीय भारतीय भाषा में कार्यक्रम, सेमिनार व कांफ्रेस आयोजित करने पर सालाना दो करोड़ रुपये की सहायता भी दी जाएगी।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी सीताराम ने कहा कि तकनीकी कॉलेजों के छात्रों को उनकी स्थानीय भाषा में पढ़ाई के साथ शोध में भी आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए तकनीकी कॉलेजों को दो से तीन दिन के 100 कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, कार्यशाला 12 स्थानीय भाषा में ही आयोजित करनी होगी। इन भाषाओं में हिंदी, पंजाबी, गुजराती, उर्दू, मराठी, उड़िया, तेलुगु, असमी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, बांग्ला भाषा शामिल है।
कॉलेजों को सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष और रक्षा, आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर कार्यक्रम करवाने होंगे। हर भाषा के लिए आठ कॉन्फ्रेंस आयोजित करनी होगी। जबकि हिन्दी में 12 कॉन्फ्रेंस आयोजित करवानी पड़ेंगी।