दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर अब किसान धीरे-धीरे कुछ कम होने लगा है.वजह यह भी मानी जा रही है कि यह समय खेतों में कटाई के बाद फसल को उठाकर मंडियों तक पहुंचाने का होता है. उधर, किसानों के लगातार डटे होने के चलते आसपास के गांवों की स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है. लोगों को आवाजाही में अभी भी परेशानी हो रही है. वहीं, व्यापार और कामकाज पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है. केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर किसान संगठन अभी पूरी तरीके से अडिग हैं. पिछले 4 माह से जारी किसान आंदोलन अभी दिल्ली कि तीनों सीमाओं के साथ-साथ कई कई राज्यों में लगातार चल रहा है. देश के पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कई राज्यों में अभी भी किसान आंदोलनरत हैं और कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर डेरा डाले हुए हैं. दिल्ली के तीनों बॉर्डर की बात करें तो इनमें गाजीपुर बॉर्डर में किसानों की तादात इसलिए ज्यादा नजर आती है कि वहां पर इसका पूरा मोर्चा राकेश टिकैत संभाले हुए हैं. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के दूसरे नेता भी लगातार आंदोलन स्थल पर पहुंचते रहते हैं. इसके साथ ही वहां पर कोई ना कोई नई गतिविधियां भी किसान आंदोलन को लेकर शुरू की जाती रहती हैं. इसके अलावा दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर अब किसान धीरे-धीरे कुछ कम भी होने लगा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि यह समय खेतों में कटाई के बाद फसल को उठाकर मंडियों तक पहुंचाने का होता है. ऐसे में अगर किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे तो उनकी पूरे एक साल की मेहनत बेकार हो जाएगी. अब रोटेशन के हिसाब से किसान भी आंदोलन स्थलों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर ज्यादातर किसानों की संख्या हरियाणा और पंजाब के किसानों की है. उधर, किसानों के लगातार डटे होने के चलते आसपास के गांवों की स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है. लोगों को आवाजाही में अभी भी परेशानी हो रही है. वहीं, व्यापार और कामकाज पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है. स्थानीय लोगों की माने तो अभी कुछ स्थिति ठीक होने लगी थी तो अब कोरोना के दोबारा आने के बाद और किसान आंदोलन के लगातार आगे भी चलते रहने से परेशानी और बढ़ने वाली है. किसान आंदोलन की दिल्ली में बागडोर संभाले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने तो साफ कर दिया है कि अगर केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो उनका आंदोलन अब 2023 तक भी जारी रहेगा. उन्होंने केंद्र सरकार को कल ही चेतावनी दे दी थी कि जब तक इन तीनों कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है और एमएसपी पर कानून नहीं बनाया जाता है तब तक किसान आंदोलन स्थल से घर वापस नहीं जाएगा. बताते चलें कि गत वर्ष सितंबर माह में केंद्र सरकार की ओर से कृषि सुधारों को लेकर तीन कृषि कानूनों को लागू किया गया था. इसके बाद से किसान इन कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की हैं. लेकिन आंदोलन की सबसे ज्यादा आवाज दिल्ली की तीनों सीमाओं विशेषकर सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से आ रही है. गाजीपुर बॉर्डर की कमान पूरी तरीके से किसान नेता राकेश टिकैत ने संभाली हुई है. वहीं, राकेश टिकैत देशभर में किसान महापंचायतों और दूसरी जगह पर चल रहे आंदोलनों में लगातार शिरकत कर रहे हैं. केंद्र पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह इन कानूनों को जल्द से जल्द वापस लें. इतना ही नहीं राकेश टिकैत केंद्र सरकार के खिलाफ कृषि कानूनों को लेकर कई राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव को लेकर भी विपक्ष के समर्थन में कई सभाएं कर चुके हैं.