प्रदेश के 26 बहुतकनीकी संस्थानों में से सिर्फ 8 में नियमित प्रिंसिपल, अतिरिक्त चार्ज देकर चलाया जा रहा काम

Parmod Kumar

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हरियाणा के 22 जिलों में 26 सरकारी बहुतकनीकी शिक्षण संस्थान हैं। इनमें से सिर्फ 8 में नियमित प्रिंसिपल हैं जबकि अन्यों में अतिरिक्त चार्ज देकर काम चलाया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। नियमित प्रिंसिपल न होने से पढ़ाई से लेकर नए कोर्स शुरू करने और कार्यक्रम से लेकर प्लेसमेंट तक के फैसले नहीं हो पा रहे। इतना ही नहीं प्रदेशभर के संस्थानों में एक भी संस्थान में नियमित वाइस प्रिंसिपल कम प्लेटमेंट ऑफिसर नहीं है। इन संस्थानों में करीब 30 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही। नियम है कि बहुतकनीकि संस्थानों में केवल लेक्चरर के पद पर सीधी भर्ती की जाएगी। उसके बाद ऊपर के सभी पद पदोन्नति से भरे जाएंगे, लेकिन ब  हुतकनीकी संस्थानों में पिछले 15-15 वर्ष से सीनियर अधिकारी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। पदोन्नति नहीं होने के कारण पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ रहा है और संस्थानों में महत्वपूर्ण फैसले भी नहीं लिए जा रहे हैं। अतिरिक्त चार्ज देकर प्रिंसिपल का काम चलाया जा रहा है। 26 बहुतकनीकी संस्थानों में सिर्फ 8 नियमित प्रिंसिपल हैं, इनमें से दो को  डेपुटेशन पर चल रहे हैं। पदोन्नति का इंतजार कर रहे कई प्राध्यापक ऐसे हैं जो आने वाले दो से तीन वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। योग्य होने के बावजूद पदोन्नति नहीं मिलने से उनका मनोबल भी गिर रहा है। बहुतकनीकी संस्थानों में वाइस प्रिंसिपल कम प्लेटमेंट ऑफिसर का भी पद है, लेकिन पदोन्नति न होने के कारण एक भी  बहुतकनीकी कॉलेज में नियमित प्लेटमेंट ऑफिसर नहीं है। इस कारण प्लेटमेंट के लिए भी विभाग काम नहीं कर पा रहा। विद्यार्थियों को रोजगार नहीं मिलेगा तो जाहिर है कि तकनीकी शिक्षा की ओर उनका रुझान भी कम होगा। स्टाफ न होने से संस्थानों के विभिन्न विभागों में करीब 15 हजार सीटें खाली रह जाती हैं। सरकार की ओर से आने वाला फंड पूरा खर्च नहीं हो पाता, क्योंकि अतिरिक्त चार्ज संभाले व्यक्ति बेहतर तरीके से काम करने में रुचि नहीं दिखाता। नियमित प्राध्यापक न होने से अनुबंधित प्राध्यापकों के कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है। एक-एक शिक्षक के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं, जिससे काम का बोझ सहना पड़ रहा है। नियमित प्राध्यापक न होने के कारण दाखिला होने के  बावजूद बड़ी संख्या में विद्यार्थी कोर्स बीच में छोड़ जाते हैं। ये मामला हमारे संज्ञान में है कि नियमित प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं। हमने अपने स्तर पर काम निपटा दिया है और पदोन्नति की जा चुकी हैं। मंजूरी के लिए फाइल मंत्री के कार्यालय में भेजी गई है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही आगामी प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।