हरियाणा में धान खरीद तेजी से हो रही, लेकिन भुगतान में देरी से किसान नाराज।

Parmod Kumar

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हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुरुक्षेत्र के गुरही गांव के एक युवा किसान मुनीश कुमार ने सरकार को 207 क्विंटल धान 1,960 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर बेचा है. लेकिन अभी तक उनका भुगतान नहीं हुआ है. इस कारण वे अपने श्रमिकों को पैसा नहीं दे पा रहे हैं.

डीबीटी की आलोचना कर रहे किसान और कमीशन एजेंट्स

मुनीश का कहना है कि उन्होंने 4 अक्टूबर को 4 लाख रुपए से अधिक की अपनी उपज सरकार को बेची थी. श्रमिकों का बकाया चुकाने के अलावा, मुनीश को अगली फसल-आलू और सरसों के लिए बीज और उर्वरक खरीदने के लिए भी पैसे की तत्काल आवश्यकता है. लेकिन भुगतान में हो रही देरी उनके लिए मुसीबत बन गई है.

कुरुक्षेत्र के गांव खेरी डबडालन के जशमेर सिंह की भी कुछ ऐसी ही शिकायत है. उन्होंने भी करीब एक सप्ताह पहले अपनी उपज बेची थी. लेकिन अभी तक पैसे बैंक अकाउंट में नहीं आए. भुगतान में देरी ने किसानों और कमीशन एजेंटों को सरकार की डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) स्कीम की आलोचना करने का एक और कारण दे दिया है.

करनाल के इंद्री ब्लॉक के एक किसान ऋषि पाल कहते हैं कि पहले हमें उपज बेचने के तुरंत बाद आढ़तियों से पैसा मिलता था. लेकिन डीबीटी ने हमारे लिए एक समस्या पैदा कर दी है. सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भुगतान एक प्रक्रिया पर आधारित है क्योंकि इसमें गेट पास, जे-फॉर्म, आई फॉर्म, एच-फॉर्म और मंडियों से उपज उठाने के सत्यापन और मिलान की आवश्यकता होती है. उन्होंने दावा किया कि पैसे का वितरण शुरू हो चुका है और कई किसानों को उनका भुगतान पहले ही मिल चुका है.

प्रक्रिया शुरू होने से पहले हुई खरीद के कारण आई समस्या

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 10.71 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है, लेकिन 3.87 लाख मीट्रिक टन का ही उठान हुआ है. ऐसे में भुगतान में थोड़ी देरी हो सकती है. करनाल आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष रजनीश चौधरी ने कहा कि जिले के हजारों किसान कुल 2.64 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के बदले पैसे का इंतजार कर रहे हैं.

भुगतान में देरी के कारणों के बारे में पूछे जाने पर, हरियाणा खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा कि खरीद प्रक्रिया शुरू होने से बहुत पहले ही धान खरीद लिया गया था और इससे भुगतान पर दबाव पड़ा. उन्होंने कहा कि भुगतान को मंजूरी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और यह जल्द ही तेज हो जाएगी.

पिछले साल भी किसानों ने भुगतान में देरी की शिकायत की थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हस्तक्षेप किया और अधिकारियों को किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे. उन्होंने मुख्यालय स्तर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि एच-फॉर्म, जे-फॉर्म, गेट पास और आई-फॉर्म जेनेरेशन को ऑनलाइन किया जाए.