Pardeep Pojaa Dancer कक्षा 9 में पढ़ने वाला प्रदीप बना पुजा तो क्या बदलाव हुआ

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Pardeep Pojaa Dancer कक्षा 9 में पढ़ने वाला प्रदीप बना पुजा तो क्या बदलाव हुआ

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अपने पहले कार्यक्रम में प्रस्तुति देने का अनुभव प्रदीप उर्फ पूजा के लिए बेहद खास था। यह वह पल था जब एक छोटे से कलाकार के रूप में उनकी कला ने उन्हें मंच पर एक विशेष स्थान दिलाया। प्रदीप की कहानी सिर्फ उनकी कला की नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और परिवार के समर्थन की भी है। यह कहानी उनके परिवार, दोस्तों और कला के प्रति समर्पण की यात्रा है, जो उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बनाने तक पहुंची।

कला में परिवार का सहयोग

प्रदीप का परिवार उनके सफर में उनके साथ खड़ा रहा है, चाहे वह उनके माता-पिता हों या उनके मार्गदर्शक, कमलेश जी। उनका कहना है, “कमलेश जी ने हमेशा मेरा साथ दिया है। हर कार्यक्रम में मुझे सबसे पहले याद किया जाता है।” उनका परिवार भी उनकी सफलता पर गर्व करता है, और जब प्रदीप ने गहलोत साहब के सामने प्रस्तुति दी, तो उनके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था। प्रदीप ने खुद कहा, “मेरे घरवाले डर रहे थे, लेकिन गहलोत साहब से मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया।”

कला से जुड़ी एक अनोखी पहचान

प्रदीप ने ‘पूजा’ नाम क्यों अपनाया? इस सवाल का जवाब उन्होंने कुछ इस तरह दिया, “मेरे नाम में पी का अक्षर था, इसलिए पूजा नाम चुना, ताकि राशिफल में कोई बदलाव ना हो।” उनका मानना है कि नाम में कोई विशेष शक्ति होती है, और यह नाम उनके लिए शुभ साबित हुआ।

समाज और महिलाओं की स्थिति पर विचार

पूजा के अनुसार, आज के समाज में महिलाओं को बाहर निकलते हुए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वे बताती हैं, “महिलाएं घर से बाहर जाती हैं, तो उन्हें कई बार गलत नजरों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हम नहीं रुकते।” उनका मानना है कि महिलाओं का हर कदम समाज के लिए प्रेरणादायक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज की लड़कियों को उनके माता-पिता का समर्थन मिलना चाहिए, क्योंकि उनमें हर क्षेत्र में सफल होने की पूरी क्षमता है।

मेकअप और डांस के दौरान चुनौतियाँ

प्रदीप के अनुसार, उनका मेकअप और प्रदर्शन हमेशा एक चुनौती रहे हैं। “प्रत्येक कार्यक्रम के बाद मुझे मेकअप को फिर से करना पड़ता है। यह एक कठिन काम होता है, लेकिन मुझे इसमें मजा आता है,” वे कहते हैं। उनका मानना है कि मेकअप के बिना प्रदर्शन अधूरा रहता है, और यह एक कला का हिस्सा बन चुका है।

संकट और संघर्ष की कहानी

पूजा की जिंदगी में संघर्षों की कोई कमी नहीं रही। उन्होंने एक बार बताया था कि कैसे एक गांव में कुछ लोगों ने उन्हें उठाने की कोशिश की थी, लेकिन कमलेश जी और उनके अन्य साथियों ने उनका समर्थन किया और स्थिति को संभाल लिया। उनके अनुसार, “कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह काम छोड़ दूं, लेकिन जब मैं घर की परिस्थितियों को देखता हूं, तो फिर से नृत्य शुरू कर देता हूं।”

समाज को संदेश

पूजा का मानना है कि महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। उनका कहना है, “लड़कियों को अपना सपना पूरा करने का पूरा हक है। उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।” वे यह भी कहती हैं कि लड़कियों के सपनों को समाज और परिवार का समर्थन मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी पहचान बना सकें।

निष्कर्ष

पूजा उर्फ प्रदीप की कहानी हमें यह सिखाती है कि कला सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक संघर्ष की यात्रा है। इस यात्रा में परिवार का समर्थन, समाज की सोच और अपनी कला में विश्वास, इन सभी तत्वों का मिश्रण होता है जो एक कलाकार को सफलता दिलाता है। पूजा का जीवन आज हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन सकता है, जो अपनी कला और संघर्ष से समाज में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं।

समाज में महिला कलाकारों के योगदान को समझें और उनका सम्मान करें।