हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही अब तक सीधे लड़ाई होते आई है. दोनों पार्टियां मुख्य तौर पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और जाट वोट बैंक को साधने के लिए जोर लगा रही है. वहीं, अनुसूचित जाति (एससी) भी इस बार चुनावों में निर्णायक फैक्टर हो सकती है!
हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं और इस बार पांच कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. मैदान में सत्तारूढ़ बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने हैं. आम आदमी पार्टी भी जोर लगा रही है. क्षेत्रीय दलों में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी भी सत्ता के समीकरण बनाने के लिए दांव पेच लगा रहे हैं. इनेलो ने इस बार गोपाल कांडा की हिलोपा और बसपा से अलायंस किया है. जेजेपी ने भी चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी-काशीराम से गठबंधन किया है. यानी दोनों प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां किंग से ज्यादा किंगमेकर बनने की रेस लगा रही हैं!
हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही अब तक सीधे लड़ाई होते आई है. दोनों पार्टियां मुख्य तौर पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और जाट वोट बैंक को साधने के लिए जोर लगा रही है. वहीं, अनुसूचित जाति (एससी) भी इस बार चुनावों में निर्णायक फैक्टर हो सकती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में एससी की की आबादी करीब 20 फीसदी है. चूंकि हरियाणा में 10 साल से बीजेपी की सरकार है. ऐसे में एंटी इनकंबेंसी के चलते हरियाणा में वोटिंग का अलग पैटर्न भी देखने को मिल सकता है. फिलहाल, विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी हैं और प्राथमिकता में रखे जा रहे हैं!
आम आदमी पार्टी ने तो खुलकर कह दिया है कि वो किंगमेकर बनने जा रही है. उसके समर्थन के बिना नई सरकार नहीं बनेगी. AAP ने पहली बार सभी 90 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी सत्ता के जादुई आंकड़े से थोड़ा दूर ठहर गई. कुल 40 सीटें जीतीं. जेजेपी किंगमेकर बनी और बीजेपी से अलायंस कर नई सरकार बनाई. मनोहर लाल खट्टर दूसरी बार सीएम बने थे और दुष्यंत चौटाला पहली बार डिप्टी सीएम बनाए गए. हालांकि, इस साल आम चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में उठापटक हुई और बीजेपी के नवीन जिंदल से चुनाव हार गए थे. अब विधानसभा चुनाव में AAP अकेले मैदान में है. कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी है. जेल से रिहा होकर आए AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल हरियाणा का छोरा बताकर खुद को जनता से कनेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. AAP का फोकस एनसीआर से सटे जिलों में ज्यादा देखा जा जा रहा है. पार्टी इस बार दिल्ली और पंजाब से सटे इलाकों में कुछ कमाल होने की उम्मीद जता रही है!