स्वास्थ्य विभाग में पिछले कई सालों से सब कुछ अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चल रहा है। विभाग में फर्जी नियुक्ति, फर्जी भुगतान जैसे तमाम कारनामों के मामले तो सामने आते ही रहे हैं। इसके अलावा विभाग में पूर्व में दवाओं का स्टोर का काम संभाल रहे कर्ताधर्ताओं ने जरूरत न होने के बावजूद भी दवाओं की खरीदी की, ताकि उन्हें मोटा कमीशन मिल सके।
इससे सरकारी खजाने को लाखों रुपये का नुकसान तो हुआ ही साथ ही मरीजों को वह दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो सकीं, जिनकी उन्हें आवश्यकता थी। जब यह दवाएं स्टोर में एक्सपायर हो गईं तो उन्हें सीएमएचओ कार्यालय की छत पर छिपाकर रख दिया गया है।
इंजेक्शन, दवाएं और आरएल वाटलों का भंडार नईदुनिया को जब विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से इस बात की जानकारी लगी कि सीएमएचओ कार्यालय की छत पर एक्सपायर दवाओं को छिपाकर रखा गया है तो नईदुनिया ने मौके पर जाकर मामले की पड़ताल की।
इन दवाओं में सरकारी सप्लाई के साथ-साथ निजी सप्लायरों से खरीदी दवाएं भी शामिल हैं। जो दवाएं एक्सपायर होकर छत पर खराब हो रही हैं उनकी कीमत लाखों रुपये में है। जो एक्सपायर दवाएं छत पर छिपा कर रखी गईं हैं |