हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि कुरुक्षेत्र में प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज करने का कोई आदेश नहीं दिया गया था। उनका यह बयान घटना के विषय में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं के बयान के अनुरूप नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने आत्मरक्षा में बल प्रयोग किए जाने का भी बचाव किया और सवाल किया कि लाठीचार्ज का मतलब क्या है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कभी-कभी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भी पुलिस लाठी का इस्तेमाल करती है। उन्होंने सोमवार को पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा कि जब तक आदेश नहीं दिया जाता, तब तक इसे लाठीचार्ज नहीं माना जाता। गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) और अन्य संगठनों ने दावा किया था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ 10 सितंबर को पिपली में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने लाठीचार्ज की बात से इनकार किया था, लेकिन जेजेपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि घटना की जांच की जाएगी। उनके भाई दिग्विजय चौटाला ने इसके लिये माफी तक मांगी थी। सरकार द्वारा पिपली लाठीचार्ज की घटना की जांच करवाने के सवाल पर खट्टर ने कहा कि कुछ चीजों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। मुझे लगता है कि पहले हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाठीचार्ज क्या होता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी पुलिस अधिकारी को हालात बिगड़ते दिखते हैं तो उसके पास लाठीचार्ज का आदेश देने की न्यायिक शक्तियां हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, लेकिन यहां ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खट्टर की इस टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले किसानों को बेरहमी से पीटा जाता है, अब मुख्यमंत्री इस पर स्पष्टीकरण देने की कोशिश कर रहे हैं कि लाठीचार्ज का क्या मतलब है।
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