जहरीली हवा करने लगी आंखों और फेफड़ों पर प्रहार, चौथे दिन एक्यूआई का औसत 400 से पार

lalita soni

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पॉल्यूशन के खतरनाक लेवल के चलते सुबह के समय पार्क में लोगों की संख्या कम हो गई है। कुछ लोग मास्क लगाकर पार्क में पहुंच रहे हैं तो कुछ लोग खुद को प्रदूषण से बचाने के लिए मुंह पर कपड़ा बांध कर निकल रहे हैं।

Toxic air starts attacking eyes and lungs, AQI average crosses 400 on fourth day in Hisar

हवा में फैला जहरीला धुआं शनिवार को भी लोगों की सेहत बिगाड़ता रहा। लगातार चौथे दिन एक्यूआई का औसत 400 से पार रहा। शनिवार को एक्यूआई का लेवल 425 दर्ज किया गया। जो बेहद खतरनाक की श्रेणी में आता है। लोगों को सांस लेने में परेशानी के साथ-साथ आंखों में जलन और गले में खराश बढ़ गई है। नागरिक अस्पताल में नेत्र रोग, ईएनटी और फिजिशियन की ओपीडी में मरीजों का इजाफा होने लगा है। यहीं हाल शहर के निजी अस्पतालों का है। जहां पर मरीजों की लाइन लगी रहती है।

पॉल्यूशन के खतरनाक लेवल के चलते सुबह के समय पार्क में लोगों की संख्या कम हो गई है। कुछ लोग मास्क लगाकर पार्क में पहुंच रहे हैं तो कुछ लोग खुद को प्रदूषण से बचाने के लिए मुंह पर कपड़ा बांध कर निकल रहे हैं। सुुबह के समय पार्क में योग करने वालों की संख्या 50 से 60 प्रतिशत तक कम हाे गई है। शाम के समय पार्क में घूमने-फिरने आने वालों की संख्या एक तिहाई रह गई है। प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया कि वाहन चलाते समय आंखों से पानी बह रह रहा है। सुबह-शाम हवा में आर्द्रता होने के कारण धुएं के कण ज्यादा होते हैं और वे सांस के जरिए सीधे शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं। जिसका असर नाक, गले और फेफड़ों पर पड़ता है।

नागरिक अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. गुलशन महता ने बताया कि हवा में धुएं के कण होने के कारण आंखों में जलन हो रही है। जलन होने से ही आंखें लाल हो रही हैं। उन्होंने बताया कि सप्ताह की शुरुआत में 30 से 40 मरीज आंखों की एलर्जी के सामने आ रहे थे और सप्ताह के अंत में मरीजों की संख्या बढ़कर 200 के करीब पहुंच गई है। आंखाें में एलर्जी के मरीज भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही वातावरण बना रहा तो मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ेंगी और इसका असर आंखों और स्वास्थ्य पर पड़ेगा।

गले में हो रही जलन
ईएनटी डॉ. सुरेंद्र बिश्नोई ने बताया कि हवा में फैले धुएं का असर नाक और गले पर पड़ रहा है। धुएं के कारण की गले में जलन के साथ-साथ खराश होनी शुरू हो गई। इसी वजह से खांसी होती है। इसके अलावा धुएं की वजह से नाक से पानी बहने लगता है। बार-बार छींक आती हैं और सांस में परेशानी होती है। उन्हाेंने बताया कि हर रोज ओपीडी में 30 से 40 मरीज दवा लेने के लिए आ रहे हैं। अगर, ऐसा ही मौसम आने वाले समय में बना रहा तो लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ेगा। सांस लेने में तकलीफ होने के साथ-साथ धुएं का असर फेफड़ों पर भी पड़ेगा।

फूल रही हैं सांसे
फिजिशियन डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि पराली के कारण हवा दूषित हो रही है। दूषित हवा के कारण की सांस के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। यह मौसम सांस के रोगियों के लिए घातक हो सकता है। ऐसे में सांस के रोगियों को सावधानी बरतनी चाहिए। सुबह और शाम को सैर नहीं करनी चाहिए। बुजुर्गों को इस मौसम में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस वातावरण में लगातार काम करने से धुआं अंदर जाएगा और वह फेफड़ों पर असर डालेगा।

संडे को राहत की उम्मीद
हरियाणा राज्य के ज्यादातर क्षेत्रों में पिछले पांच दिनों से धूल व धुआं भरा वातावरण बना हुआ है। इस का मुख्य कारण एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ भी है। धीमी गति से पुरवाई हवाएं चलने से वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ने से धूल और अन्य प्रदूषक तत्व निचले वातावरण में बने हुए हैं। जिससे रात्रि तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 10 नवंबर तक खुश्क रहने की संभावना है। 5 व 6 नवंबर को उत्तरी व उत्तर पश्चिमी हवा हल्की गति से चलने के कारण प्रदूषण में थोड़ी कमी आने की संभावना है। 7 नवंबर को एक ओर पश्चिमी विक्षोभ के चलते 8 व 9 नवंबर को आंशिक बादल संभावित हैं। 10 नवंबर से उत्तर पश्चिमी हवाएं मध्यम गति से चलने से प्रदूषण से राहत की संभावना बन रही है।