फिरौती, गैंगस्टरों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को छिपा रही पुलिस, किसानों से भी लगता है डर !

parmod kumar

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जनता की नजर में अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए जिला पुलिस ने कुछ समय से नया फार्मूला निकाल लिया है। बड़े मामलों में अपराधियों को रोकने या कानून व्यवस्था संभालने में पुलिस फेल रहती है तो दर्ज हुई एफआईआर को ही छिपा लेती है। किसी से रंगदारी मांगी जाती है तो एफआईआर तो दर्ज होती है, लेकिन जनता को अपराधियों के बुलंद हौसलों का पता न चले इसलिए मीडिया से केस छिपाने का प्रयास करती है।

जनता को जिले में हो रहे अपराधों की जानकारी न मिले इसके लिए बीते कुछ महीनों से पुलिस द्वारा दर्ज किये केसों को छिपाना आम होता जा रहा है। इनमें अपराधियों के अलावा किसानों पर दर्ज केस भी शामिल हैं, जिन्हें मार्च में पुलिस ने छिपाने का प्रयास तो किया, लेकिन सफल नहीं हुई थी। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद पुलिस एफआईआर को ऑनलाइन करने से भी बचती है।

गेहूं के सीजन में ढांड अनाज मंडी में बारदाना देने की मांग को लेकर 27 मार्च को समाजसेवी विकास तंवर के नेतृत्व में सैकंडों किसानों ने ढांड के पंचमुखी चौक पर जाम लगा दिया था। किसानों की मांग थी कि उनका गेहूं साइलो गोदाम की बजाय ढांड अनाज मंडी में ही बिके। पुलिस ने थाना के सिक्योरिटी एजेंट ईएचसी की शिकायत पर विकास तंवर सहित 86 लोगों को नामजद व 300 अन्य किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

बदमाशों ने मई महीने में पूंडरी निवासी दुकानदार के पास कॉल करके रंगदारी मांगी थी। आरोपियों ने पहले 28 मई को एक विदेशी नंबर से व्हाट्सएप कॉल करके बोला कि नवीन ट्योंठा बोल रहा हूं, मेरे को 10 लाख रुपए दे, नहीं तो मैं तेरे को व तेरे परिवार के किसी भी सदस्य को मरवा दूंगा। फिर 30 मई को दोबारा रंगदारी के लिए कॉल आई। मामले में पुलिस ने धारा 384, 386, 506, 120 बी व आर्म्स एक्ट के तहत पूंडरी थाना में एफआईआर नंबर 230 दर्ज की।