जींद के जुलाना क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ता जा रहा है। प्रशासन और सरकार द्वारा पराली जलाने पर रोक के सख्त निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान धान की फसल के अवशेषों को जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
रात के अंधेरे में जल रही पराली
किसान अब प्रशासन की नजरों से बचने के लिए नई रणनीति अपना रहे हैं। वे रात के समय धान के अवशेषों को आग लगाते हैं, ताकि सुबह तक खेत तैयार हो जाए और पराली जलाने के सबूत मिट जाएं। जैसे ही रात होती है, क्षेत्र के खेतों में पराली जलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जुलाना के हांसी रोड समेत कई स्थानों पर धुएं के गुबार नजर आते हैं, जिससे पर्यावरण और वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ रहा है।
प्रशासन की नजर नहीं
हालांकि प्रशासन द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है और किसानों को रोकने के लिए टीमें भी बनाई गई हैं, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस परिणाम देखने को नहीं मिला है। स्थानीय एडिओ (एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ऑफिसर) हेमंत का कहना है कि अभी तक विभाग के पास इस मुद्दे पर कोई सटीक लोकेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन जल्द ही मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा।