हरियाणा सरकार के तमाम दावों के बावजूद बिजली संकट बरकरार है। अप्रैल माह की शुरुआत में बिजली की मांग 6800 मेगावाट थी और अब नौ हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। इससे उद्योगों समेत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के कट बढ़ गए हैं। भीषण गर्मी से लोग बेहाल हो गए हैं। इस बार बिजली की मांग पिछले साल के मुकाबले 33 प्रतिशत तक अधिक है। अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था नहीं हुई तो जून माह में लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ सकती है। इस समय पानीपत पावर प्लांट से 710, खेदड़ से 600 और यमुनानगर से 600 मेगावाट बिजली मिल रही है। अदाणी कंपनी से 1421 मेगावाट और टाटा से 500 मेगावाट का करार लेकिन दोनों के यहां से बिजली आपूर्ति बंद है। नए करारों में छत्तीसगढ़ से 350 मेगावाट व मध्य प्रदेश से 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ली जानी है। इसके लिए एचईआरसी ने अनुमति दे दी है। पूरा अप्रैल माह विभाग न कंपनियों से विवाद सुलझा सका और न ही दूसरी कंपनियों से बिजली खरीद सका। मांग और आपूर्ति में समन्वय स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार केंद्रीय पुल से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रही है। बावजूद इसके अभी बिजली की मांग और आपूर्ति में 1400 मेगावाट से ज्यादा का अंतर है। पिछली बार अधिकतम मांग 12 हजार मेगावाट थी लेकिन इस बार यह आंकड़ा 15 हजार मेगावाट को पार कर सकता है। अदाणी से इसी सप्ताह बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। आगामी दस दिनों में लगभग 1500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था हो जाएगी। लोगों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।
हरियाणा में बिजली संकट जस का तस, मांग पहुंची नौ हजार मेगावाट, कटौती से लोग बेहाल
Parmod Kumar