हरियाणा में बिजली कटौती: कर्मियों पर रोजगार का संकट

Parmod Kumar

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हरियाणा में बिजली संकट बरकरार है। सरकार के तमाम दावों के बीच अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। उद्योग और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 12 घंटे तक के कट लगाए जा रहे हैं। उद्योगों में उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम हो गया है। हजारों मजदूरों और कर्मचारियों के रोजगार पर संकट आ गया है। बिजली की व्यवस्था न होने से अभी कटों से राहत के आसार नहीं हैं। इस समय प्रदेश में बिजली की मांग 9200 मेगावाट को पार कर चुकी है, जबकि आपूर्ति 7400 मेगावाट है। 1800 मेगावाट की कमी के चलते बिजली के कट लगाए जा रहे हैं। उद्योंगों में रात 8 से सुबह 4 बजे तक बिजली सप्लाई बंद की गई है। जेनरेटर से फैक्ट्री को चलाना महंगा पड़ रहा है। उद्योगों में रात की शिफ्ट बंद करनी पड़ रही है। इससे उत्पादन 40 से 50 प्रतिशत कम हो गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि सबसे अधिक नुकसान पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, रोहतक, गुरुग्राम, बहादुरगढ़ और हिसार के औद्योगिक क्षेत्र में आ रही है। इन शहरों के हजारों छोटे-बड़े उद्योग प्रभावित हैं और मजदूरों को भी काम मिलना बंद हो गया है। उद्योगों को प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। प्रदेश में कोयले की आपूर्ति आधे से भी कम होने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो गया है। बिजली उत्पादन इकाइयों को पहले सात दिन का अतिरिक्त कोयला मिल जाता था, अब सिर्फ तीन दिन का मिल रहा है। कोयले की कमी के कारण पर्याप्त बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा। औद्योगिक नगरी पानीपत को नेशनल ग्रिड यमुनानगर, फरीदाबाद, और पानीपत थर्मल से प्रतिदिन बिजली मिलती है। गर्मी में बिजली खपत 25 करोड़ यूनिट से बढ़कर 35 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है। सिर्फ 18 से 22 करोड़ यूनिट ही बिजली मिल पा रही है। यानी मांग से 13 से 17 करोड़ यूनिट बिजली प्रतिदिन कम मिल रही है। इससे 5 से 10 घंटे के कट लगाए जा रहे हैं।