बिना पीएचडी और नेट के भी अब लोग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बन सकते हैं। यूजीसी के एक फैसले के बाद अब प्रोफेसर बनना आसान हो गया है। इसके लिए आपके पास एकेडमिक डिग्री का होना आवश्यक नहीं है। 18 अगस्त, 2022 को आयोजित यूजीसी की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके तहत इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट देश के संस्थानों में सेवाएं दे सकेंगे। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से IIT और IIM के बाद यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू कर दी है। अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट बिना NET और PhD के बतौर प्रोफेसर दो साल तक यूनिवर्सिटी में क्लास ले सकेंगे। इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अंशु वाजपेयी नाम के यूजर ने लिखा,”फर्जी डिग्री से नेता, फर्जी डिग्री से शराब लाइसेंस और अब आप देश में बिना डिग्री के प्रोफेसर बनेंगे, यानी शिक्षा पर आधारित नहीं बल्कि विचारों पर आधारित चयन होगा। वैसे सरकार ने आईआईटी और आईआईएम में पहले ही प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू की हुई है।” कांग्रेस से जुड़े कई सगठनों ने इसे ‘एक और मास्टर स्ट्रोक’ बताकर सरकार पर तंज कसा है। बसंत कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि कई डिग्रियां ले लो, अपने -अपने घर के मुख्य जगह में टांगने के लिए, इधर बिना परीक्षा के प्रत्येक वर्ष 400 IAS लैटरल एंट्री से और विश्वविद्यालयों में अब प्रोफेसर बिना डिग्री के बन सकते हैं। मौज कर दी केंद्र सरकार ने तो। बता दें कि अभी तक UGC मान्यता प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्यों के विश्वविद्यालयों समेत यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के लिए योग्यता में नेट और पीएचडी होना जरूरी होता था लेकिन अब प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू होने से इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे म्यूजिक, नृतक, इंडस्ट्री समेत कई क्षेत्रों के एक्सपर्ट प्रोफेसर बन पाएंगे।