प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के एक बड़े कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करेंगे

Parmod Kumar

0
487

कृषि कानूनों की वापसी और एक साल से अधिक चले किसान आंदोलन के खात्मे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार किसानों के एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. 16 दिसंबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में वे किसानों को जीरो बजट नैचुरल फार्मिंग के फायदे बताएंगे और इस खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. सरकार की कोशिश है कि किसान रासायनिक खाद का कम से कम इस्तेमाल करें और प्राकृतिक तरीके से खेती करें. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रहेगी. वहीं लागत घटने से उनकी आमदनी में इजाफा होगा.

कृषि सचिव संजय अग्रवाल के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी गुजरात सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के तौर-तरीकों पर आयोजित एक कृषि कार्यक्रम के समापन समारोह को 16 दिसंबर को ‘ऑनलाइन’ संबोधित करेंगे. प्राकृतिक खेती पर केंद्रित यह तीन दिवसीय कार्यक्रम आज यानी मंगलवार से गुजरात के आणंद में शुरू हो रहा है.

‘जीरो बजट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए होगा समिति का गठन’

संजय अग्रवाल ने बताया कि यह इस तरह की पहली पहल है, जो प्राकृतिक खेती पर केंद्रित है. कृषि सचिव ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने सहित विभिन्न कृषि संबंधी मुद्दों पर विचार के लिए ‘जल्द निकट भविष्य में’ एक समिति का गठन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अब एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि बन चुकी है. ‘इसमें उत्पादन की लागत कम होती और और किसानों को अधिक आमदनी सुनिश्चित होती है.’ इस कार्यक्रम में करीब 5,000 किसानों के भाग लेने की संभावना है.

इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि 16 दिसंबर को सरकार प्राकृतिक खेती पर एक बहुत बड़ा आयोजन करने जा रही है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती या जीरो बजट फार्मिंग से हमारी धरती मां भी बचती हैं. पानी भी बचता है और उत्पादन भी पहले से ज्यादा होता है. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे प्राकृतिक खेती पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम से जुड़े और मुझे पूरा यकीन है कि उसे देखने के बाद वे अपने खेत में इसे करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्राकृतिक खेती में आगे

यह पूछे जाने पर कि कृषि विज्ञान अकादमी (AAS) के अध्यक्ष पंजाब सिंह ने 2019 में कहा था कि जीरो बजट खेती एक अप्रमाणित तकनीक है, जिससे किसानों को कोई वृद्धि नहीं होती है, कृषि सचिव ने कहा, ‘मैंने 2019 में वह रिपोर्ट पढ़ी थी. 2019 के बाद से बहुत पानी बह चुका है. अप्रमाणित का मतलब यह नहीं है कि यह अच्छा नहीं है. वर्षों से किसान प्राकृतिक खेती का अभ्यास कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है.

वित्त वर्ष 2020-21 से शुरू हुई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) योजना के तहत प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण और प्रोत्साहन के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में आठ राज्यों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को मंजूरी दी गई थी. प्राकृतिक खेती में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अग्रणी हैं.