पंजाब और हरियाणा के किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से लंबी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। इसके लिए अब वे 25 सितंबर के पंजाब बंद का सफल बनाने की रणनीति में जुट गए हैं। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे कृषि विधेयकों को बिल्कुल स्वीकर नहीं करेंगे। लेकिन आंदोलन को उग्र बनाकर सरकार व पुलिस प्रशासन से कोई पंगा भी नहीं लेंगे। फिलहाल उनका असल लक्ष्य इन विधेयकों को वापस करवाना है। किसान को-आर्डिनेशन कमेटी के सदस्य सतनाम सिंह बहिरू ने पटियाला में कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को फुसलाने के लिए एमएसपी में जो बढ़ोतरी की है, वह बेहद मामूली है। यह एलान किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। भाकियू एकता उगराहां के नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार का रवैया किसानों के साथ अब तक ठीक ही रहा है। उधर, मुक्तसर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व हरसिमरत कौर बादल निवास के समक्ष पिछले आठ दिनों से चल रहे किसानों के धरने हटा दिया गया है। यूनियन की कार्यकारी प्रदेश महासचिव हरिंदर कौर बिंदू व वरिष्ठ नेता शिंगारा सिंह मान ने बताया कि 25 सितंबर को पंजाब बंद के दौरान धरना-प्रदर्शन किए जाएंगे और 24 से 26 सितंबर तक रेलें रोक कर केंद्र सरकार के खिलाफ अर्थी फूंक प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके लिए बुधवार से ही किसान रेल पटरियों पर टेंट लगाकर बैठ जाएंगे।













































