पंजाब सरकार ने बेअदबी के मामलों में निजी रूप से पेश होने की छूट मांगने संबंधी सिरसा डेरा प्रमुख की याचिका पर एतराज दर्ज कराया है। पंजाब सरकार ने राम रहीम की याचिका के संबंध में सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया। मामले में हाईकोर्ट अब 2 मई को अंतिम सुनवाई करेगा। पंजाब में धार्मिक ग्रंथ की चोरी, फरीदकोट के बरगाड़ी गांव में हाथों से लिखे बेअदबी के पोस्टर लगाने और धार्मिक ग्रंथ के पन्नों को फाड़ बेअदबी करने के मामले में विशेष जांच टीम गठित की थी। SIT ने कुछ गवाहों के बयान के आधार पर केस दर्ज कर डेरा प्रमुख राम रहीम को आरोपी बनाया था। डेरा प्रमुख की वकील कनिका आहूजा ने बाजाखाना थाने में दर्ज FIR नंबर 117, 128 में राम रहीम के लिए हाईकोर्ट से राहत की मांग की है। जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। पंजाब पुलिस बेअदबी मामलों में गुरमीत राम रहीम से पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वारंट मांग रही है। हालांकि पिछले साल भी ऐसी मांग की गई थी। फरीदकोट की अदालत ने डेरा प्रमुख का प्रोडक्शन वारंट भी जारी किया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में साफ कह दिया था कि सुरक्षा कारणों से डेरा प्रमुख को पंजाब नहीं भेजा जा सकता। ऐसे में पंजाब पुलिस की एसआईटी सुनारिया जेल गई, मगर पूछताछ में कुछ खास हाथ नहीं लगा था। अब राम रहीम ने बेअदबी के मामलों में निजी रूप से पेश होने से छूट देने की मांग करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही ट्रायल की मांग की गई है। राम रहीम की मांग पर पंजाब सरकार ने एतराज जताते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हाईकोर्ट 2 मई को इस केस में अंतिम सुनवाई करेगा। डेरा मुखी को वर्ष 2017 में पंचकूला कोर्ट ने साध्वी यौन शोषण में 20 साल जेल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह हत्याकांड में भी उसे सजा हो चुकी है। लगभग 400 साधुओं को नपुंसक बनाने और बेअदबी के मामलों में अभी जांच और ट्रायल चल रहे हैं।