राजधानी दिल्ली में कोविड-19 से उपजे संकट के दौरान वाहनों की आवाजाही के लिए सिंघु बार्डर की एक लेन से किसान हट गए हैं. संयुक्त मोर्चा ने पुलिस से अपील की है कि वह बैरिकेड्स हटाकर रास्ता खुलवा दें. नए कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर समेत दिल्ली की सीमाओं पर पांच महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संयुक्त मोर्चा ने पुलिस उपायुक्त, बाहरी उत्तरी दिल्ली को लिखे पत्र में उसने अनुरोध किया कि सिंघु बॉर्डर पर राजमार्ग के एक ओर से अवरोधक हटाए जाएं, ताकि दिल्ली तक आवश्यक वस्तुओं की सुचारू आपूर्ति हो सके. पत्र में बताया गया है कि किसानों ने दिल्ली की सिंघू सीमा पर राजमार्ग के एक ओर का रास्ता ऑक्सीजन टैंकरों एवं एम्बुलेंस का निर्बाध आवागमन सुनिश्चित करने के लिए खाली कर दिया है. देश में कोरोना संकट के बीच चल रहे ऑक्सीजन संकट के मद्देनजर किसानों ने यह अपील की है और कुछ दिन पहले रोहतक में हुई बैठक में रास्ता खोलने का फैसला हुआ था. दरअसल, किसानों पर आरोप था कि उनके आंदोलन या दखल की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा आ रही है. इसका किसान नेताओं की ओर से खंडन किया गया और कहा गया कि यह सब किसानों और आंदोलन को बदनाम करने के लिए किया और कहा जा रहा है. किसान नेताओं ने कहा कि ऑक्सीजन के ट्रक उनके कारण नहीं रुके हैं. बैठक में फैसला लिया गया कि जीटी रोड को एक तरफ से इमरजेंसी सेवाओं के लिए खोल दिया जाएगा.
कोरोना जांच से इनकार, वैक्सीनेशन को तैयार : इस बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने फिर कहा कि सरकार कोरोना के नाम पर आंदोलन को खत्म करने का षड्यंत्र रच रही है. इसलिए साफ कर दिया गया है कि किसान कोरोना जांच नहीं कराएंगे. अगर कोई बीमार होता है तो वह खुद जाकर जांच करा सकता है. इसके साथ ही वैक्सीन के लिए सरकार कैंप लगवाए और उसमें भी किसान अपनी मर्जी से वैक्सीन लगवाने जाते हैं तो उनको लगाई जाए. अगर जांच करने व वैक्सीन लगाने के लिए जबरदस्ती की गई तो उसका अंजाम भुगतना होगा.