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Rakesh Tikait

राकेश टिकैत ने कहा कि अब देश में कैमरे और कलम पर बंदूक का पहरा, पढ़िए ऐसा क्यों कहा।

Parmod Kumar

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत केंद्र सरकार से पहले से ही दुखी हैं। बीते आठ माह से वो सरकार से तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर केंद्र सरकार से उनकी कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है मगर उसका कोई रिजल्ट नहीं निकला। सरकार कह रही है कानून किसानों के हित के लिए हैं, किसान नेता कह रहे हैं कि वो हित के लिए नहीं है बल्कि इससे उनको काफी नुकसान है।

सरकार इन कानूनों में किसानों के अनुसार संशोधन करने को तैयार है मगर किसान इन कानूनों को खत्म किए जाने की मांग पर ही अड़े हुए हैं। किसान नेता अपनी तीन मांगों को लेकर हर तरह के हथकड़े अपना चुके हैं यहां तक कि बीते दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने हिस्सा लिया और केंद्र सरकार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इन बीते आठ माह में किसान नेता सैकड़ों पंचायतें कर चुके हैं, इन पंचायतों के माध्यम से वो किसानों को अपने साथ जोड़े रहने और आंदोलन को खत्म न होने देने की अपील करते रहे हैं। किसानों के अलावा अब किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया संस्थानों का भी सहारा लेने का दांव चला है। एक दिन पहले आयकर विभाग की ओर से जिन मीडिया संस्थानों पर छापे मारे गए थे उसको लेकर टिकैत ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हम लंबे समय से यह कह रहे हैं कि देश में कैमरे और कलम पर बंदूक का पहरा है यह बात एक न्यूज चैनल और एक समाचार पत्र के कार्यालय एवं कर्मचारियों के घरों पर मारे गए छापे से चरितार्थ हो जाती है। साथ ही उन्होंने लिखा कि स्वतंत्र आवाज को दबाने के लिए संस्थाओं का दुरुपयोग है भाकियू ऐसे मीडिया संस्थानों के साथ खड़ा है। इससे कुछ घंटे पहले टिकैत ने ट्वीट करते हुए मां भारती के लाल, महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन..! का भी संदेश ट्वीट किया था।