राकेश टिकैत ने कहा, आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा।

Parmod Kumar

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केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के ऐलान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे.

गुरुपर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद किसान समाज में हर्ष का माहौल है. दिल्ली के गाजीपुर बार्डर पर जलेबी बांटी जा रही है. इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने पीएम के ऐलान पर ट्वीट कर कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा.

 

कृषि कानून रद्द होने पर ऑल इंडिया किसान सभा महासचिव हन्नान मौला ने दिल्ली में कहा, ‘मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं. जब तक सदन से इस घोषणा पर कार्यवाही नहीं होती है तब तक यह कोशिश संपूर्ण नहीं होगी. इससे हमारे किसानों की समस्या हल नहीं होगी. MSP के लिए हमारा आंदोलन जारी है और जारी रहेगा.’

पीएम मोदी ने आज क्या कहा

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधने में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है. जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती जरुरतों को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए एमएसपी को और अधिक प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा. इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे.

पीएम मोदी ने कहा, ‘किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे. मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले.’उन्होंने कहा, ‘बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे. पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था. इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए. देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं.’