पिछले 26 नवम्बर से चल रहे किसान आंदोलन का अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गम्भीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के खिलाफ़ झूठे मुकदमे दर्ज कर किसानों के आंदोलन को कमज़ोर करना चाहती है। इस तरह झूठे मुकदमे दर्ज कर कृषि क़ानूनों का विरोध नहीं रोक पाएगी। राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक नए कृषि कानूनों को ख़त्म नहीं किया जाएगा तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। हरियाणा सरकार को चेतावनी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने राज्य सरकार को चेतावनी भी दी है कि उनके शांतिपूर्ण आंदोलन में हस्तक्षेप नहीं करें। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा में सत्तारूढ़ सरकार झूठे मुकदमे करके आंदोलनकारी किसानों को गिरफ्तार कर रही है। किसानों पर इस तरह झूठे मुकदमे कर हरियाणा सरकार अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रही है। राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा सरकार इस तरह परेशान करके विरोध प्रदर्शन करने से नहीं रोक पाएगी। इन कानूनों के ख़िलाफ़ उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक की कृषि कानून निरस्त नहीं हो जाते।
नई पार्टी के सीएम पद की दावेदारी से गुरनाम सिंह चढूनी ने उठाया पर्दा, वीडियो देखें केंद्र सरकार के साथ लम्बी लड़ाई राकेश टिकैत ने कहा कि सभी किसान एकजुट होकर केंद्र सरकार के साथ एक लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसी की भी सुनती नहीं है और जो कोई भी उनके अन्याय के खिलाफ बोलने की कोशिश करता है उसे देशद्रोही करार दे दिया जाता है। उन्होंने कहा कि किसान की जीत पक्की है, केंद्र को कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर कर देंगे। स्वतंत्रता दिवस पर किसानों के ध्वजारोहण की बात पर राकेश टिकैत ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली की सरहदों पर धरना दे रहे किसान अपने-अपने धरना स्थलों पर ध्वजारोहण करेंगे और फिर वहां से ट्रैक्टर रैली भी निकालेंगे। उन्होंने कहा कि ये आयोजन ग़ाज़ीपुर, सिंघु और खेड़ा पर भी किया जाएगा। ध्वजारोहण के बाद किसान अपने ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर निकलेंगे लेकिन दिल्ली की सीमा को पार कर शहर में दाख़िल नहीं होंगे। नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार ने बढ़ाई कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें पूरे भारत में निकलेगा जुलूस किसान नेता डॉ आशीष मित्तल ने कहा कि पूरे भारत में किसानों का जुलूस तो निकलेगा ही, किसान ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, हल और कृषि में इस्तेमाल होने वाले दूसरे उपकरणों को लेकर झाकियां निकालेंगे। ज़िला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर ये आयोजन किया जाएगा लेकिन दिल्ली में यह आयोजन नहीं किया जाएगा। किसान संगठनों का कहना है कि हरियाणा और पंजाब के किसान सिंघु बॉर्डर पर आएंगे, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर ध्वजारोहण कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उसी तरह राजस्थान के किसान खेड़ा बॉर्डर तक आएंगे, फिर वहां से वापस अपने इलाक़ों में रैली की शक्ल में जाएंगे. विपक्ष के निशाने पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, कहा- 2017 में किए वादे को पूरा करें दिल्ली पुलिस ज़्यादा सतर्क आपको बता दें इसी साल गणतंत्र दिवस पर किसानों की दिल्ली में रैली के दौरान हिंसक घटनाएं हुईं थीं। किसानों के हुजूम और पुलिस बलों के बीच राजधानी की सड़कों पर कई जगहों पर संघर्ष हुआ था। इसमें कई किसान घायल भी हुए थे जबकि एक किसान की मौत भी हो गई थी। इस बाबत पुलिस ज़्यादा सतर्क है. दिल्ली पुलिस के एक ने कहा कि किसानों को पिछली बार रैली की इजाज़त दी गई थी, किसान नेताओं ने आश्वासन दिया था कि रैली शांतिपूर्ण रहेगी। लेकिन 26 जनवरी को आंदोलन नेताओं के हाथ से निकल गया और भीड़ पर उनका कोई नियंत्रण नहीं रहा। वहीं इस बार न तो किसानें इजाज़त मांगी है और ना ही दिल्ली पुलिस इसकी अनुमती देगी। किसान संसद का संचालन ग़ौरतलब है कि इससे पहले जंतर मंतर पर किसानों ने ‘किसान संसद का संचालन’ करना शुरू किया था और कहा था कि जब तक संसद का मॉनसून सत्र चलेगा, तब तक वो किसानों की ‘सामानांतर संसद’ चलाते रहेंगे। 11 अगस्त को संसद का सत्र अचनाक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. किसानों ने भी अब जंतर मंतर पर चल रही अपनी ‘समानांतर संसद’ को ख़त्म कर दिया। पहले किसान संगठनों का कहना था कि वो स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर जंतर मंतर पर चल रही किसानों की संसद के दौरान ध्वजारोहण करेंगे। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता डॉ. आशीष मित्तल ने बताया कि संसद का सत्र ख़त्म होते ही किसानों ने भी जंतर मंतर के इलाक़े को ख़ाली कर दिया था।