राकेश टिकैत का बड़ा ऐलान कहा की सरकरर किसान की बात नहीं मान रही, अब 200 किसान रोजना धरने पर बैठेंगे।

Parmod Kumar

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उत्‍तर प्रदेश के मेरठ में एक कार्यक्रम के दौरान पहुंचे भाकियू के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकार किसनों की बात नहीं मान रही है। इसलिए अब सरकार से बात मनवाने के लिए बड़ा कदम उठाया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि जबतक सरकार किसानों की बात नहीं मान लेती, तबतक दिल्ली में 22 जुलाई से संसद के बाहर रोजाना 200 किसानों का समूह जाकर धरने पर बैठेगा। भारतीय किसान यूनियन राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता ने कहा कि कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन को जारी रखेगा। आगामी 24 जुलाई को बिजनौर से ट्रैक्टर रैली चलकर मेरठ पहुंचेगी। जो अगले दिन गाजीपुर बार्डर के लिए कूच करेगी।

भाकियू के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता बुधवार को मेरठ के करनावल में पार्टी के पूर्व पदाधिकारी के घर एक समारोह में शामिल हुए थे। उन्‍होंने मीडिया से बात करते हुए किसान आंदोलन को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया। उन्‍होंने कहा कि सरकार को अब बात माननी ही होगी, क्‍योंकि अब 22 जुलाई से 200 किसानों का दल संसद के बाद हर दिन धरने के बाहर बैठेगा। इसके लिए तैयारी हो रही है। उन्‍होंने आगे कहते हुए कहा कि खेत और आंदोलन दोनों पर किसान अपनी बराबर नजर बनाकर इस लड़ाई को लडेंगे। आठ माह से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठा है। कृषि कानून वापस हुए बिना किसान घर नहीं लौटेगा। सरकार को किसानों की बात माननी पड़ेगी।

पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होगी महापंचायत

बुधवार दोपहर भाकियू के पूर्व पदाधिकारी राजकुमार करनावल के छोटे भाई सुधीर के रिसेप्शन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ खाना खाया, हुक्का गुड़गुड़ाया और राजकुमार के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में महापंचायत आयोजित होगी। जिसमें उप्र के अलावा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के किसान शामिल होंगे। महापंचायत में आंदोलन की आगे की रणनीति तय होगी। आठ माह से आंदोलन चल रहा है। लोकतांत्रिक देश में ऐसे नहीं चलेगा। इससे पहले भाकियू पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी कार्यकर्ताओं के साथ रोहटा बाइपास पर उन्हें लेने पहुंचे थे। करनावल के बाद राकेश टिकैत कार्यकर्ताओं के साथ सिवाया टोल के लिए रवाना हो गए।

गन्ने के रेट व भुगतान उप्र में बडा़ विषय है। कोई भी फसल पर किसान को एमएसपी नहीं मिलती। जो भी फसल किसान लगाता है, उसमें बर्बाद हो जाता है। उप्र में बिजली बहुत महंगी है। किसानों के सभी विषयों पर सरकार से लड़ाई जारी रहेगी।