केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है. इस बीच, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाना शुरू हो गया है. नासा ने आग की इन घटनाओं को मैप किया है. हालांकि विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट (VIIRS) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच वर्षों की समान अवधि की तुलना में इस साल पंजाब और हरियाणा में आग की संख्या कम है. ये पराली जलाने के मौसम में देरी का संकेत देती हैं.
दिल्ली में सीपीसीबी के 37 निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों का इस्तेमाल करके गणना की गई वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), 12 अक्टूबर को 179 थी, जो मीडियम श्रेणी की है. मीडियम श्रेणी की AQI, 101 से 200 के बीच है. प्रदूषण का स्तर फेफड़ों और ह्रदय रोगों वाले लोगों के लिए सांस लेने में कठिनाई की वजह बन सकता है. यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन, नासा मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के पृथ्वी विज्ञान के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने कहा कि शुरुआती आग आमतौर पर सितंबर की शुरुआत में अमृतसर जिले के पास शुरू होती है. इसकी तारीख साल-दर-साल बदलती रहती है और मौसम सहित कई कारकों पर निर्भर करती है.
कब कितनी घटनाएं आईं सामने
VIIRS डेटा के अनुसार इस साल 11 अक्टूबर को, हरियाणा में आग की कुल संख्या 442 थी. 2020 में यह आंकड़ा 750, 2019 में 723, 2018 में 619, 2017 में 988 और 2016 में 1,095 था. वहीं पंजाब में इस साल 11 अक्टूबर को आग की घटनाओं की संख्या 918 थी, जबकि 2020 में 2996, साल 2019 में 869, साल 2018 में 529 और 2017 में 1392 थी. आंकड़ों से लगता है कि 7 अक्टूबर के बाद से AQI 125 को पार कर गया है और लगातार बढ़ रहा है. आखिरी दिन जब दिल्ली ने ‘संतोषजनक’ श्रेणी में वायु गुणवत्ता देखी वह 4 अक्टूबर थी. 4 अक्टूबर को AQI सितंबर के आखिरी दस दिनों के बिल्कुल उलट थी. 20 सितंबर से 26 सितंबर तक AQI संतोषजनक श्रेणी में थी और 100 से नीचे दर्ज की गई थी.
नासा की तस्वीरों में क्या दिखा
नासा की फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (FIRMS), पंजाब के उत्तरी भाग में लाल बिंदुओं का एक समूह और हरियाणा के उत्तर-पश्चिमी भाग (कुरुक्षेत्र और करनाल के आसपास) में एक समूह दिखाती है. ये विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट (VIIRS) के मैप किए गए आग के स्थानों को दिखाता है. गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि संगरूर, बठिंडा, फिरोजपुर, पटियाला और मोगा में पंजाब में सबसे ज्यादा आग लगी है, जबकि हरियाणा के फतेहाबाद, कैथल, करनाल, जींद और अंबाला में सबसे ज्यादा आग लगी है.
इस साल डॉट्स की संख्या कब कम दिखी
1 अक्टूबर को मैप किए गए फायर डॉट्स की तुलना में, 12 अक्टूबर को डॉट्स की संख्या में वृद्धि हुई है. मैप दिखाता है, मंगलवार को पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में अधिक तीव्र लाल क्लस्टर मौजूद हैं. 28 सितंबर को, पंजाब के उत्तरी भाग में केवल एक क्लस्टर और पंजाब और हरियाणा में कुछ बिखरे हुए बिंदुओं के साथ लाल बिंदुओं की संख्या और भी कम थी.