जैव-संवर्द्धक उत्पादक कंपनियों को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत!

Parmodkumar

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2025 को बायोलॉजिकल एग्री सॉल्यूशन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और अन्य द्वारा दायर याचिका W.P.(C) 11081/2025 पर महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह याचिका उन जैव-संवर्द्धक (biostimulants) उत्पादकों और आयातकों की समस्याओं को लेकर दायर की गई थी, जिनके उत्पादों के लिए फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 (FCO) के शेड्यूल VI में शामिल कराने के लिए आवेदन लंबित हैं।

न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं

जिन जैव-संवर्द्धक उत्पादकों/आयातकों के उत्पाद शेड्यूल-VI में शामिल हो चुके हैं, उन्हें राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरण के पास आवश्यक कागजात तीन सप्ताह में जमा करने होंगे। इसके बाद संबंधित प्राधिकरण को छह सप्ताह के भीतर फैसला लेना होगा। जब तक निर्णय नहीं हो जाता, वे निर्माण, बिक्री और आयात जारी रख सकते हैं।

जिनके आवेदन लंबित हैं या जिनमें कोई कमी दूर करने के लिए कहा गया है, उन्हें भी फैसला होने तक अपना कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई है। ऐसे आवेदकों को चार सप्ताह में कमियां दूर करनी होंगी।

जिनके आवेदन खारिज हो गए हैं, वे तब तक कार्य नहीं कर सकते जब तक उनका उत्पाद शेड्यूल-VI में शामिल नहीं हो जाता।

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि 9 जून 2025 की अधिसूचना, जिसमें जैव-संवर्द्धकों को लेकर नई परीक्षण पद्धतियों का जिक्र है, वह केवल भविष्य में लागू होगी, पूर्व में नहीं।

यह राहत सिर्फ याचिकाकर्ता एसोसिएशन के सदस्यों एवं याचिका में सूचीबद्ध कंपनियों/संस्थाओं को मिलेगी

इस फैसले से जैव-संवर्द्धक उद्योग को राहत मिली है और किसानों को जैव-संवर्द्धक उत्पादों की उपलब्धता बहाल रहेगी। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण करें ताकि नियमन की प्रक्रिया पारदर्शी एवं निष्पक्ष रहे।