सलमान खान और आयुष शर्मा की फिल्म अंतिम: द फाइनल ट्रूथ का जलवा, जानिए कैसी है ये फिल्म

Parmod Kumar

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कास्ट – सलमान खान, आयुष शर्मा और महिमा मकवाना
डायरेक्टर – महेश मांजरेकर
रेटिंग – 3 स्टार

सलमान खान कई दिनों बाद बड़े पर्दे पर दिखाई देने वाले हैं इस बात से ही सलमान के फैंस की एक्साइटमेंट्स सातवें आसमान पर थी. अंतिम: द फाइनल ट्रूथ फिल्म में सलमान के पहले लुक से लेकर अब फिल्म रिलीज होने तक यही दिखाने की कोशिश की गई है कि ये सलमान खान की फिल्म है लेकिन असल में सलमान इस फिल्म में एक ऐसी भूमिका में हैं जो फिल्म को आगे बढ़ाने का काम करता है. दर्शकों की ये जिज्ञासा अब खत्म हो गई है सलमान खान और आयुष शर्मा एक्शन अवतार में दर्शकों के बीच आ चुके हैं आइए बताते हैं आपको क्या उनका ये अवतार दर्शकों को पसंद आ रहा है या नहीं?

कहानी –

‘अंतिम: द फाइनल ट्रूथ’ मराठी फिल्म ‘मुलसी पैटर्न’ की आधिकारिक रिमेक है. ये कहानी है राहुल (आयुष शर्मा) नाम के एक ऐसे नवजवान की जिसमें जुनून है और वो पुणे के सबसे बड़ा माफिया बनना चाहता है. उसकी इस यात्रा में कई सारे ड्रामेटिक मोड़ आते हैं. इन बीच उनके कई सारे दुश्मन बनते हैं. इसके निजी जिंदगी में भी भूचाल आता है. इस फिल्म की कहानी में भूमाफियाओं द्वारा सताए जा रहे गरीबों के दर्द को भी बयां किया गया है. क्राइम का एक अलग रूप पेश करने की कोशिश हुई है. राहुल उसी दर्द और पीड़ा को झेलकर उसी जगह का गैंगस्टर बन जाता है. वो इसके बाद उससे बड़े गैंगस्टर नान्या भाई (उपेंद्र लिमये) के लिए काम करता है. इन सबके बीच उसके जीवन मे काल बनकर मंडराता रहता है पुलिस इंस्पेक्टर राजवीर सिंह (सलमान खान). वो इस शहर से क्राइम अपने तरीके से मिटाना चाहते है.

रिव्यू –

इस फिल्म की कहानी मराठी पृष्ठभूमि की है. पुणे जैसे शहर के आस-पास रची बुनी गई है. महेश मांजरेकर इन फिल्म के निर्देशक हैं. उन्होंने पूरी कोशिश की है कि गांव और शहरों के गैंगस्टर्स के बीच चलने वाली खूनी संघर्ष को दिखाया जाए. वो बहुत हद तक सफल भी हुए हैं. भूमाफियाओं के अत्याचार और उस अत्याचार से निकले कई गैंगस्टर्स की कहानी हमें सुनने को मिलती है इस बार देखने को मिलेगी. कहानी में नयापन नहीं है बस उसे नए अंदाज में पेश करने की कोशिश की गई है. एक्शन की मात्रा ठीक ठाक है. डायलॉग्स भी अच्छे लिखे गए हैं. वो और अच्छे हो जाते हैं जब सलमान खान उन्हें बोलते दिखाई पड़ते हैं. फिल्म की कहानी को गंभीरता से दिखाया जा सकता था लेकिन बीच-बीच मे गानों का प्रयोग बाधा उत्पन्न करता है.

अभिनय-निर्देशन

सलमान खान इस फिल्म में एक पंजाबी पुलिस ऑफिसर के रोल में हैं. वो जब जब स्क्रीन पर आते हैं सीटियां और तालियां बजनी तय है. उनका स्क्रीन प्रेजेंस कमाल का रहता ही है. आयुष शर्मा ने अपने बॉडी के साथ-साथ अपने परफॉर्मेंस से भी सबको चौकाया है उनके काम की तारीफ की जानी चाहिए. महिमा के हिस्से कुछ सीन हैं लेकिन वो बहुत खास प्रभाव नहीं दिखा पाईं हैं. बाकी सभी सहयोगी कलाकारों का काम ठीक है. महेश मांजरेकर ने अपने तरीके से एक गैंगस्टर की स्टोरी दिखाई है. बहुत हद तक कामयाब भी हुए हैं लेकिन कहीं कहीं स्क्रीनप्ले सुस्त पड़ता दिखता है. वो चीज़ इन फिल्म में परेशान करती है. ऐसी फिल्मों के रफ्तार का खास ध्यान रखना चाहिए.

देखें या ना देखें-

इस फिल्म में सलमान खान के फैंस के लिए वो सब कुछ है जो उन्हें चाहिए. सलमान के डाई हार्ड फैंस के लिए ये फिल्म परफेक्ट है. आयुष शर्मा की परफॉर्मेंस भी इस फिल्म को देखने का एक कारण है. बाकी अगर आप बहुत उम्मीद लगा कर देखेंगे तो ये एक औसत फिल्म लगेगी. बिना ज्यादा उम्मीद के देखेंगे तो इस वीकेंड आपका टाइम पास तो हो ही जाएगा