1 सितंबर से दिल्ली में खुलेंगे स्कूल, कॉलेजों और कोचिंग संस्थान, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया।

Parmod Kumar

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चिकित्सा विशेषज्ञों ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों को फिर से खोलने के दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन माता-पिता को बच्चों को कोविड प्रोटोकॉल सिखाकर सावधानी से चलने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘मैं जो देख रहा हूं वह यह है कि बच्चे पूरी तरह से खो चुके हैं और हमें उनकी मानसिक क्षमताओं को देखना होगा। बच्चों को माता-पिता द्वारा सामान्य होती स्थिति के बारे में शिक्षित करना होगा।’ नागपाल ने कहा कि स्कूलों को बच्चों के लिए उचित वेंटिलेशन की व्यवस्था करनी होगी, जो एक समस्या है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को छात्रों के स्कूल में आने और जाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करनी होगी और स्टाफ के लिए वैक्सीनेशन आवश्यक करना होगा। पीएसआरआई अस्पताल की डॉ. सरिता शर्मा ने कहा कि स्कूल खोलने से पहले स्टाफ का कोविड-19 से बचाव करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि भारत में फिलहाल बच्चों के लिए कोरोना का टीका नहीं है, लेकिन कोरोना के प्रति उचित सावधानी के साथ स्कूलों को खोला जा सकता है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान को अमेरिका ने अलग अलग क्यों कहा? क्या हार से हताशा में हैं बाइडेन?

उन्होंने आगे कहा कि स्कूल के अध्यापकों, सहायक कर्मचारियों और पूरे स्टाफ का कोरोना वायरस से बचाव जरूरी है और इसके लिए उनका टीकाकरण आवश्यक है। बता दें कि पिछले साल मार्च से राजधानी दिल्ली में स्कूल बंद हैं।दिल्ली में कोरोना की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के बाद दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल , कॉलेज और कोचिंग संस्थान 1 सितंबर से फिर से खुलेंगे।

तेज होती जा रही है कोरोना की रफ्तार, 24 घंटों में 46,759 नए केस और 509 मरीजों की मौत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षण और सीखने की गतिविधियां मिश्रित मॉडल में चलती रहेंगी। वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में बाल रोग और नियोनेटोलॉजी के निदेशक डॉ. राहुल नागपाल ने कहा कि स्कूलों को उचित दिशा-निर्देशों और बेहतर प्रबंध के साथ खोलना होगा। निजी स्कूल माफ नहीं करते तो कोरोना में अनाथ बच्चों की फीस भरें राज्य, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश वहीं, डॉक्टर गौरी अग्रवाल ने कहा कि बच्चों को कोरोना और उससे बचाव के उपायों के बारे में बताना जरूरी है, लेकिन बच्चों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे बेहतर तरीके से दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। इसलिए यह बेहतर होगा कि हम स्कूलों के प्राथमिक और निचले वर्गों को खोलने से पहले प्रतीक्षा करें।