वैज्ञानिकों ने 12 दिसंबर तक के लिए किसानो को आलू और टमाटर की खेती पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी

Parmod Kumar

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि भौतिकी संभाग में काम करने वाले वैज्ञानिकों ने किसानों से आलू की फसल पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी है. उनके मुताबिक किसान भाई-बहन आलू की खेती (Potato Farming) में उर्वरक की मात्रा डालें तथा फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें. हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. इसलिए इसकी नियमित रूप से निगरानी करें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 को 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं. कोरोना (COVID-19) के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग और सामाजिक दूरी बनाए रखने पर विशेष ध्यान दें. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई अतिशीघ्र करें.

सरसों की फसल में यह काम करें

वैज्ञानिकों ने 12 दिसंबर तक के लिए जारी कृषि एडवाइजरी में कहा है कि देर से बोई गई सरसों की फसल यदि काफी घनी है तो उसमें विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. औसत तापमान में कमी को देखते हुए सरसों की फसल (Mustard crop) में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें. इस मौसम में रबी सीजन के प्याज की रोपाई होती है. पहले से अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद तथा पोटास का प्रयोग करें.

पछेती गेहूं की ये हैं किस्में

पछेती गेहूं की उन्नत प्रजातियों में डब्ल्यूआर 544, एचडी 3237, राज 3765, एचडी 3271, एचडी 3059, एचडी 3117, यूपी 2338, पीबीडब्ल्यू 373 एवं यूपी 2425 शामिल हैं. प्रति हेक्टेयर के 125 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी.
बुवाई से पहले गेहूं के बीज को थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें. इसी तरह जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो वहां पर क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दें.

गोभी की फसल के लिए सलाह

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस मौसम में गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की रेगुलर निगरानी करते रहें. बीटी@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एमएल को 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.आर्द्रता अधिक रहने की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें.

धान की पराली न जलाएं

कई राज्यों में अब भी धान की कटाई का समय चल रहा है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को न जलाएं. क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण होता है. साथ ही फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसलिए धान के बचे हुए अवशेषों को जमीन में मिला दें. इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है.