पंजाब विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में अलग-अलग पार्टियों के मुख्यमंत्री चेहरे पर बहस छिड़ी हुई है. इस बीच, स्टेट कांग्रेस कैंपेन कमेटी के प्रमुख सुनील जाखड़ ने बुधवार को कहा कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं करेगी और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी अपने सीएम चेहरे का खुलासा नहीं किया. यह केवल एक अपवाद था कि कांग्रेस आलाकमान ने 2017 के राज्य विधानसभा चुनावों के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था.
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जाखड़ ने आगे कहा कि हमने 2017 को छोड़कर किसी भी विधानसभा चुनाव से पहले कभी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की. अब भी हम मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं करेंगे और कांग्रेस के संयुक्त नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. उम्मीदवारों के चयन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव अजय माकन की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक की, जिसमें जाखड़, माकन और पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने हिस्सा लिया.
सीएम फेस की घोषणा पर जोर दे रहे सिद्धू
नवजोत सिद्धू लगातार पंजाब चुनावों में सीएम फेस की घोषणा करने पर जोर दे रहे हैं और खुद को इस पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, राज्य के अधिकांश नेता राज्य में जातिगत समीकरणों को संतुलित करके चुनाव लड़ने के लिए सामूहिक नेतृत्व का पक्ष ले रहे हैं. कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में सीटों के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा, ‘आज सीटों पर चर्चा हुई लेकिन अंतिम सूची सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली सीईसी जारी करेगी.’
चुनाव से पहले दलबदल का खेल जारी
वहीं, पंजाब चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने का खेल भी जारी है. कई नेताओं ने पुरानी पार्टी छोड़कर नई पार्टी ज्वाइन कर ली है. दलबदल के खेल में कांग्रेस को लगातार झटके मिल रहे हैं. राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब विधायक फतेह सिंह बाजवा बीजेपी में शामिल हो गए. उनके पार्टी छोड़ने के फैसले पर पंजाब कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यह उनका सही फैसला नहीं है. कांग्रेस विधायकों के BJP में शामिल होने पर सुनील जाखड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि यह चिंता का विषय है. फतेह सिंह बाजवा ने सही फैसला नहीं लिया है. पंजाब में बीजेपी की कोई प्रासंगिकता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता. केवल वे ही पार्टी छोड़ने का मुख्य कारण बता सकते हैं’.