घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण ये रहे
- ईरान-इस्राइल के बीच संघर्ष
पश्चिम एशिया में इरान और इस्राइल के बीच बढ़ रहा तनाव दुनियाभर के बाजार के लिए चिंता का कारण है। खबरों के अनुसार ईरान की ओर से हमले के बाद इस्राइली सेना ने दक्षिण लेबनान में अपने आठ सैनिकों के मौत की पुष्टि की है। इनमें एक टीम कमांडर भी शामिल है। ऐसे में आने वाले समय में इस्राइल ईरान, हिजबुल्ला और हमास को घेरने के लिए जवाबी हमले तेज कर सकते हैं। अगर यह स्थिति बनती है तो इसका असर कच्चे के उत्पादन पर पड़ेगा। जिसका असर पूरी दुनिया के बाजार पर पड़ेगा। इन्ही चिंताओं को देखते हुए निवेशक बाजार में नई खरीदारी से बच रहे हैं।
- कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा
पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने लगा है। ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति डॉलर के भाव को पार कर गया है। बेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएड क्रूड भी 72 डॉलर पर पहुंच गया। दोनों ही सूचकांक में पिछले तीन दिनों में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरवट आई। इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा, क्योंकि भारत एक तेल आयातक देश है और आयात बिल में कच्चे तेल का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- वायदा कारोबार के नियमों का सख्त होना
सेबी ने हाल ही में अपनी बोर्ड की बैठक में वायदा करोबार के नियमों में बदलाव की मंजूरी दी है। बाजार नियामक सेबी की ओर से वायदा व विकल्प (एफएंडओ) सेगमेंट में नियमों को सख्त करने के हाल के फैसले ने भी आज इक्विटी बाजारों में गिरावट में योगदान दिया। विश्लेषकों के अनुसार ये नए उपाय, जिनमें साप्ताहिक समाप्ति को हर एक्सचेंज पर एक दिन करना और अनुबंध आकार बढ़ाना शामिल है, रिटेलर्स को निराश कर सकते हैं। इससे ट्रेडिंग में कमी आ सकती है। व्यापार की गतिशीलता के बारे में इस अनिश्चितता ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। जिससे व्यापक भू-राजनीतिक तनावों के बीच बाजार में गिरावट का दबाव बढ़ गया।
चीन के शेयर बाजार में मजबूती से भी भारतीय निवेशक चिंता में हैं। हाल के वर्षों में चीन के शेयर बाजार ने खराब प्रदर्शन किया है। पिछले सप्ताह चीनी सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के बाद, विश्लेषकों ने चीनी शेयरों में निरंतर वृद्धि की भविष्यवाणी की है। जिससे भारत से पूंजी के बाहर भेजे जाने को बढ़ावा मिल रहा है। एसएसई कंपोजिट इंडेक्स मंगलवार को 8% बढ़ा और पिछले सप्ताह में 15% से अधिक बढ़ा। नतीजतन, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले दो कारोबारी सत्रों में भारतीय इक्विटी से 15,370 करोड़ रुपये निकाले।
रुपया डॉलर के मुकाबले 11 पैसे कमजोर हुआ
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव की चिंताओं के बीच घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक धारणा बनी, इससे रुपये में भी गिरावट आई। गुरुवार (3 अक्टूबर, 2024) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे टूटकर 83.93 पर आ गया। मुद्रा व्यापारियों के अनुसार पूंजी बाजारों से विदेशी निवेश के लगातार बाहर जाने और अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने से भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा।