पैरा एशियन गेम्स में छाया सोनीपत का सुमित आंतिल, नए पैरा विश्व रिकॉर्ड के साथ भाला फेंक में जीता सोना

lalita soni

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पैरा ओलंपियन सुमित आंतिल का सफर हमेशा कठिनाइयों भरा रहा है। करीब नौ साल पहले पहले हुए सड़क हादसे में एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले से हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया।

Sumit Antil of Sonipat won gold in javelin throw with new Para world record in Para Asian Games

चीन के हांगझोऊ में आयोजित हो रहे पैरा एशियन गेम्स में गांव खेवड़ा के लाडले सुमित आंतिल ने शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने एक बार फिर से देश व प्रदेश का मान बढ़ाते हुए 73.29 मीटर के थ्रो के साथ एशियन पैरा गेम्स रिकॉर्ड और विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा है। सुमित ने अपने तीसरे प्रयास में इस उपलब्धि को प्राप्त किया।

तीसरे प्रयास में किया रिकॉर्ड प्रदर्शन
गांव खेवड़ा के लाडले सुमित आंतिल ने बुधवार सुबह पैरा एशियन गेम्स में देश के लिए स्वर्णिम उपलब्धि  प्राप्त की। उन्होंने प्रतियोगिता में एफ-64 भाला फेंक स्पर्धा में 73.29 मीटर भाला फेंक अपने पुराने रिकॉर्ड 70.83 मीटर में सुधार कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। उनकी इस उपलब्धि पर खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है। गांव पहुंचने पर लाडले का स्वागत किया जाएगा। वह पहले ही 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए कोटा हासिल कर चुके हैं। खेवड़ा का यह लाडला टोक्यो पैरालंपिक में देश का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख चुका है। उन्होंने तब 68.55 मीटर भाला फेंका था।
कठिनाइयों से नहीं मानी हार, किया कड़ा परिश्रम
पैरा ओलंपियन सुमित आंतिल का सफर हमेशा कठिनाइयों भरा रहा है। करीब नौ साल पहले पहले हुए सड़क हादसे में एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले से हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। चेहरे पर मुस्कान रखने वाले सुमित ने न सिर्फ अपने से बड़ी तीन बहनों रेनू, सुशीला व किरण को हौसला दिया बल्कि इकलौते बेटे के साथ हुए हादसे से दुखी मां निर्मला देवी को भी कहा था कि- मां रो मत, जो दो पैर वाला नहीं दे पाएगा, तुझे इतना सुख दूंगा। अपनी कही बात को वह लगातार सच कर रहे हैं।
हादसे से बदल दी जिंदगी
सुमित आंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार का बीमारी से निधन हो गया था। पिता का साया सिर से उठने के बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया। सुमित जब 12वीं कक्षा में थे तो कॉमर्स का ट्यूशन लेते थे। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहे थे, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली ने सुमित को टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक घसीटते हुए ले गई थी। इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सुमित को वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के पूना ले जाया गया था, जहां उसका पैर चढ़ाया गया था। उसके बाद से वह सदैव आगे ही बढ़ते जा रहे हैं।