सोयाबीन के घटे दामों ने लाखों किसानों को परेशानी में डाल दिया है। सोयाबीन प्रदेश की सबसे प्रमुख नकदी फसल है। इसका असर से प्रदेश के उद्योग और आर्थिक गतिविधि भी प्रभावित होने की आशंका है। दाम बढ़ने की उम्मीद में किसानों ने बीते साल की उपज को स्टॉक कर लिया था।
इस पूरे साल दाम तो बढ़े नहीं उलटे और घट गए। सितंबर अंत में सोयाबीन की नई फसल आ जाएगी। ऐसे में दाम जमीन पर आने की आशंका है। परेशान किसान आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। 2021 में सोयाबीन के भाव 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। जबकि इंदौर की मंडी में सोयाबीन के दाम इस समय करीब चार हजार रुपये क्विंटल है।
इसी उम्मीद में तमाम किसानों ने बीते साल की अपनी उपज स्टॉक कर लिया। हालांकि पूरा साल निकलने के बाद भी दाम नहीं बढ़े। उलटे कीमत करीब एक हजार रुपये प्रति क्विंटल और घट गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की देश में बुवाई का क्षेत्रफल भी 125 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।