स्पीकर सर, देसी दारू… संसद में BJP सांसद की अनोखी मांग
नकली शराब पर रोक के लिए भाजपा सांसद की अनोखी सलाह
नई दिल्ली/पंचकूला: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद धर्मवीर सिंह ने लोकसभा में नकली शराब से होने वाली मौतों का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि नकली शराब पर अंकुश लगाने के लिए उस प्रकार की ‘देसी दारू’ बनाने की अनुमति दी जाए, जो पहले जौ, अंगूर और गन्ने के रस से बनती थी। उनकी इस मांग पर सदन में विपक्षी सांसद भी मुस्कुराने लगे।
किसानों की आय बढ़ाने की दलील
हरियाणा के भिवानी-महेंद्रगढ़ से लोकसभा सदस्य धर्मवीर सिंह ने अपनी मांग को सही ठहराते हुए कहा कि यदि पारंपरिक विधि से देसी शराब बनाई जाती है तो इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि पहले ‘दारू-दवाई’ मानी जाती थी क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से पेड़-पौधों, अंगूर, जौ और गन्ने के रस से बनाई जाती थी। सांसद ने सरकार से अनुरोध किया कि इसे फिर से वैध किया जाए ताकि किसानों की आमदनी दोगुनी या तिगुनी हो सके। साथ ही, नकली शराब का कारोबार करने वालों पर भी सख्त नियंत्रण लगाया जा सके।
नकली शराब से हो रही मौतों का मुद्दा
सांसद धर्मवीर सिंह ने शून्यकाल के दौरान कहा कि नकली शराब के सेवन से हर साल कई निर्दोष लोग अपनी जान गंवा देते हैं। उन्होंने सरकार से इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। उनका मानना है कि यदि पारंपरिक और शुद्ध तरीके से शराब बनाने की अनुमति दी जाए, तो यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
अन्य सांसदों की मांगें भी आईं सामने
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जनता दल (यू) के सांसद सुनील कुमार ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई। वहीं, माकपा के सांसद अमरा राम ने राजस्थान के अलवर में एक मासूम बच्ची की कथित तौर पर पुलिसकर्मी के जूते से कुचलकर मौत की घटना पर चिंता जताई। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने और संबंधित पुलिसकर्मी पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
इसके अलावा, भाजपा सांसद दिलीप सैकिया ने राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र के नेताओं को निशाना बनाने वाले डिजिटल चैनलों और पोर्टलों पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने इन माध्यमों के लिए एक नियामक प्राधिकरण स्थापित करने का सुझाव दिया ताकि इन्हें नियंत्रित किया जा सके।
निष्कर्ष
भाजपा सांसद धर्मवीर सिंह की यह मांग चर्चा का विषय बन गई है। जहां कुछ लोगों ने इसे एक व्यावहारिक समाधान बताया, वहीं कुछ ने इस पर व्यंग्य भी किया। अब देखना होगा कि सरकार इस सुझाव पर क्या निर्णय लेती है।














































