टिकैत के असर वाले वेस्ट UP पर खास फोकस, भाजपा खाट-चबूतरों पर छोटी-छोटी चौपाल लगाकर किसान आंदोलन को काउंटर करेगी।

Parmod Kumar

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लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को भले ही केंद्र सरकार लगातार अनदेखा कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ उसने किसान आंदोलन के राजनीतिक प्रभाव का आंकलन भी शुरू कर दिया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने आगामी चुनावों में किसान आंदोलन के प्रभाव को जानने के लिए पार्टी के किसान नेताओं से मशविरा किया है और इससे निपटने के लिए रणनीति बना ली गई है।

UP चुनाव को लेकर भाजपा किसान आंदोलन की वजह से जरा सा भी जोखिम नहीं लेना चाहती है। लिहाजा, UP में किसान आंदोलन के लिए काउंटर नीति बनकर तैयार हो गई है।

16 से 25 अगस्त तक किसानों के साथ बैठक

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रामबाबू द्विवेदी ने बताया, ’16 से 25 अगस्त तक हम गांवों में किसानों के साथ खाट और चबूतरों पर बैठक करेंगे। बड़ी चौपाल की जगह छोटी-छोटी चौपालें लगाई जाएंगी। किसानों की समस्याएं सुनकर उन्हें योगी सरकार तक पहुंचाया जाएगा, ताकि उनका समाधान निकल सके।’

भाजपा इन किसान चौपालों के जरिए किसान आंदोलन के असर को टटोलने की भी कोशिश करेगी, ताकि इस असर को बेअसर करने की रणनीति बनाई जा सके।’

टिकैत के आंदोलन पर पानी फेरने की क्या होगी रणनीति?

दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का मुख्य चेहरा अब राकेश टिकैत बन चुके हैं। राकेश टिकैत का पश्चिमी UP के एक हिस्से में असर है। भाजपा ने इस इलाके में टिकैत के असर को कम करने के लिए रणनीति तैयार की है। इस रणनीति को प्वाइंट्स में समझिए…

1. 16 से 25 अगस्त तक UP की 104 विधानसभा सीटों के तहत आने वाले गांवों में भाजपा का किसान मोर्चा चौपाल लगाएगा। मोर्चा केवल आयोजक है, लेकिन इसमें किसानों से सीधा संवाद का काम भाजपा के किसान नेता करेंगे।

2. बड़ी चौपाल की जगह खाट और चबूतरों पर छोटी चौपाल को तरजीह दी जाएगी। इसकी वजह है कि पार्टी किसानों से सीधा संवाद करना चाहती है। उत्तर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने किसान मोर्चा को यह सुझाव दिया है कि वह किसानों के छोटे-छोटे समूहों तक पहुंचे और सरकार तक उनकी बात पहुंचाए।

3. किसानों की समस्याएं सुनने के साथ, किसानों के लिए UP सरकार द्वारा किए गए कामकाज का ब्यौरा दिया जाएगा।

4. 25 से 30 सितंबर तक किसानों की सभी मांगों और समस्याओं को इकट्ठा कर एक दस्तावेज तैयार किया जाएगा। इस दस्तावेज को ग्रामीण किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपेगा।

5. यह प्रतिनिधि मंडल 150 से 200 किसानों का होगा। सूत्र तो यह भी कहते हैं कि यह प्रतनिधिमंडल भाजपा किसान मोर्चा के लोग पहले ही बना चुके हैं। इसमें ब्लॉक और तहसील लेवल पर काम करने वाले भाजपा के कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

6. किसान मोर्चा को योगी सरकार ने पहले यह आश्वासन दे दिया है कि वह इन सभी समस्याओं का समाधान 10 सितंबर तक कर देगी।

7. इस चौपाल का असल मकसद गांवों में भाजपा के लिए लोगों का दिल टटोलना है, ताकि चुनाव से पहले पार्टी इस वर्ग की किसी भी किस्म की नाराजगी दूर कर दे।

दिल्ली में आठ महीने से चल रहे किसान आंदोलन के असर से निपटने के लिए भाजपा ने रणनीति बना ली है। आंदोलन का चेहरा बने राकेश टिकैत के प्रभाव वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए इसमें खासा जोर दिया गया है।
दिल्ली में आठ महीने से चल रहे किसान आंदोलन के असर से निपटने के लिए भाजपा ने रणनीति बना ली है। आंदोलन का चेहरा बने राकेश टिकैत के प्रभाव वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए इसमें खासा जोर दिया गया है।

दिग्गजों को सौंपी गई कमान, चुनाव पर असर पड़ा तो ‘रिपोर्ट कार्ड’ होगा खराब?

  • केंद्रीय मंत्री और पश्चिमी UP के दिग्गज नेता संजीव बालियान, UP के भाजपा नेता सुरेश राणा, राज्य कृषि मंत्री सूर्य सिंह शाही, राज्य सभा सदस्य विजय पाल सिंह तोमर समेत अन्य कई दिग्गज नेताओं के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।
  • भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं से शीर्ष नेतृत्व ने साफ कह दिया है कि किसानों के बीच भाजपा की सकारात्मक छवि बनाने का जिम्मा उन पर है। UP के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से सख्त शब्दों में कहा गया है कि अगर UP चुनाव में किसानों वोट पर असर पड़ा तो इन नेताओं का रिपोर्ट कार्ड खराब हो सकता है।
  • UP में संगठन के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘दरअसल, भाजपा जानती है कि टिकैत का असर पूरे UP में बहुत नहीं पड़ेगा, लेकिन पश्चिमी UP के कुछ हिस्सों में टिकैत का आंदोलन चोट कर सकता है। इसलिए, भाजपा जोखिम लेने के मूड में नहीं है। लिहाजा, पश्चिमी UP में पार्टी का ज्यादा जोर है।’

UP सरकार के किसान हितैषी इन 4 कामकाज को बताने पर रहेगा जोर

  • UP में खोले गए कस्टम हायरिंग सेंटर्स के बारे में किसानों को बताया जाएगा। दरअसल, इन सेंटर्स के जरिए किसान ट्रैक्टर खरीद में 50 फीसदी और अन्य कृषि उपकरणों में 80 फीसद तक छूट पा सकते हैं। इसका डेटा तैयार किया जा चुका है।
  • गन्ना किसानों के 10,000 करोड़ रु. सरकार द्वारा भुगतान किए गए। इसका लेखा जोखा भी किसानों तक पहुंचाया जाएगा।
  • नई तकनीक से केले और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को दी जा रही सब्सिडी के बारे में बताया जाएगा। किसानों को प्रति पौधा लगाने में 10 रु. की सब्सिडी और गन्ना किसानों को प्रति पौधा लगाने में 1.50 रु. की सब्सिडी दी जा रही है। कितने लोगों तक यह सुविधा पहुंची, इसका भी डेटा तैयार कर लिया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का जिक्र प्रमुखता के साथ किया जाएगा।

किन-किन समस्याओं को खत्म करने पर होगा जोर

  • किसान क्रेडिट कार्ड ब्याज मुक्त किया जाए।
  • गन्ना किसानों का प्राइवेट मिल्स द्वारा अब तक नहीं किया गया भुगतान किया जाए।
  • बिजली की दरों को कम किया जाए या सब्सिडी दी जाए।