
एक समस्या के समाधान का आइडिया ही नए आविष्कार को जन्म देता है। कुछ ऐसा ही केंद्रीय विद्यालय के विद्यार्थी प्रियांश सिंह ने किया है। बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रियांश ने इससे निजात के बारे में सोचना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि उसने ऑक्सीजन रिलीज करने वाला 600 लीटर का टैंक बना दिया। यह टैंक प्रदूषण को अपने अंदर लेकर ऑक्सीजन रिलीज करेगा।
हरियाणा के सिरसा में केंद्रीय विद्यालय के 9वीं कक्षा के विद्यार्थी प्रियांश सिंह का यह मॉडल राष्ट्रीय स्तरीय प्रदर्शनी के लिए चयनित हुआ है। इस प्रदर्शनी में देशभर के विद्यार्थी अपने मॉडल को प्रदर्शित करेंगे। विद्यार्थी ने थ्री डी मॉडल तैयार किया है। राष्ट्रीय स्तरीय प्रदर्शनी आगरा में 21 से 23 दिसंबर को आयोजित की जाएगी।
इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को राष्ट्रपति सम्मानित करेंगी। इससे पहले 3 और 4 नवंबर को रोहतक केंद्रीय विद्यालय में आयोजित समारोह में विद्यार्थी का मॉडल का चयन राष्ट्रीय स्तर पर हुआ था। इस समारोह में सिरसा के 61 विद्यार्थियों ने अपने मॉडल प्रदर्शित किए थे।
अब प्रदूषण से मिलेगी निजात
विद्यार्थी प्रियांश सिंह पुत्र विरेंद्र सिंह ने लिक्विड ट्री नाम से यह मॉडल बनाया है। मॉडल में एक 600 लीटर का टैंक है। टैंक में स्पेरोलीना-दो लगाए गए हैं। इस टैंक में बिजली जनरेट होगी। मॉडल में काई भी लगाई गई है। काई अपने अंदर सीओ-2 लेती है और ऑक्सीजन छोड़ती है। मॉडल में एक मेमब्रेन लगाया गया है। इसे इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन एक्सीयन कहा जाता है। मॉडल में एनोड व कैथोड भी लगाए हैं, जो एक रॉड की तरह काम करते हैं। ये बिजली जनरेट करने में काम आते हैं। इस टैंक में स्मॉग अंदर जाएगा और दूसरे टैंक से ऑक्सीजन बाहर निकलेगी। इससे आमजन को प्रदूषण से राहत मिलेगी। इसे हर सार्वजनिक स्थानों में इंस्टाॅल किया जा सकता है।
प्रियांश को इस प्रकार से आया आइडिया
सिरसा शहर का प्रदूषण 400 से 450 के बीच में है। ऐसा इस साल नहीं अपितु हर साल होता है। जिससे पूरे शहर में स्मॉग की परत बन जाती है। इसे हटाने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता है। ये एक प्रकार का अस्थायी समाधान है। इस सबको देखकर विद्यार्थी के मन में स्थायी समाधान की जिज्ञासा हुई। जिसे उसने अपने पिता और केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य विरेंद्र सिंह को बताया। पिता को यह आइडिया अच्छा लगा और इस मॉडल को बनाने का सोचा।
मैं खुद फिजिक्स का शिक्षक हूं। इस कारण इस मॉडल का विज्ञान समझने में कोई दिक्कत नहीं आई। प्रियांश की भी साइंस में अच्छी रुचि है। अच्छा लग रहा है कि प्रियांश ने मेरे साथ-साथ स्कूल का नाम भी रोशन किया है। अब इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में ले जाया जाएगा।














































