सुनील जाखड़ फिर नाराज हुए, बोले- बहुत हो गया, सत्ता को कमजोर करने की कोशिश बंद करो।

Parmod Kumar

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पंजाब कांग्रेस में मची खींचतान के बीच पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि अब बहुत हो गया है. सीएम की सत्ता को कमजोर करने की कोशिशों पर विराम लगाएं. उन्होंने सिद्धू की नाराजगी को लेकर भी कहा कि, एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आरोप वास्तव में उनकी ईमानदारी/क्षमताओं पर सवाल उठा रहे हैं. यह कदम पीछे खींचने का समय है, जिससे हवा (सियासी रुख) को साफ किया जा सके.

जाखड़ पहले भी सिद्धू को लेकर दिए गए हरीश रावत के बयान पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने एआईसीसी महासचिव हरीश रावत के उस कथित बयान पर सवाल उठाए थे, जिसमें उन्होंने आगामी राज्य विधानसभा चुनाव कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़े जाने की बात कही थी.

 

पहले क्या बोले थे जाखड़

कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख जाखड़ ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव हरीश रावत के बयान को ‘‘चौंकाने’’ वाला करार देते हुए कहा था कि इससे मुख्यमंत्री के अधिकारों के ‘‘कमजोर’’ होने की आशंका है. जाखड़ ने ट्वीट किया था, ‘‘चरणचीत सिहं चन्नी के पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के दिन, रावत का ‘‘ सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का बयान’’ काफी चौंकाने वाला है. यह न केवल मुख्यमंत्री के अधिकारों को कमजोर कर सकता है बल्कि इस पद के लिए उनके चयन के कारणों को भी नकारेगा.’’ रावत ने कथित तौर पर कहा था कि अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

आज सीएम चन्नी से मिलेंगे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के पीपीसीसी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने से पंजाब कांग्रेस में पैदा हुए संकट को दूर करने की कोशिशें जारी हैं. इसी बीच सिद्धू ने आज मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के बातचीत निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. चरणजीत सिंह चन्नी ने सिद्धू को फोन कर बातचीत के लिए आमंत्रित किया था. इससे पहले कांग्रेस ने अपने केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश चौधरी को पार्टी नेताओं से बात करने और संकट को सुलझाने के लिए बुधवार को चंडीगढ़ भेजा था, लेकिन सिद्धू चंडीगढ़ नहीं आए. उन्होंने अपने करीबियों की सलाह नहीं मानी और इस्तीफा वापस नहीं लिया.