हरियाणा में ग्रुप-सी और डी की भर्तियों में आर्थिक सामाजिक आधार पर दिए जाने वाले पांच अतिरिक्त अंकों के मामले में हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पांच अतिरिक्त अंक देने वाली 2022 की अधिसूचना को रद्द करने के पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग व अन्य की याचिका को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार की यह नीति महज लोकलुभावन थी और योग्यता को प्राथमिकता के सिद्धांत से भटकी हुई है।
उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दावा किया कि चयनित 23 हजार कर्मचारियों की नौकरी किसी भी सूरत में नहीं जाएगी। सरकार के पास दो विकल्प हैं, एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर करना और दूसरा विधानसभा में विधेयक लाना।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कृपांक नीति सरकार ने उन परिवारों को अवसर देने के लिए शुरू की थी, जो सार्वजनिक रोजगार से वंचित थे। उन्होंने कहा कि क्या ऐसे अभ्यार्थियों को सार्वजनिक रोजगार पाने का अवसर नहीं मिलना चाहिए, लेकिन शीर्ष अदालत की पीठ ने याचिका पर विचार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।