पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले टीम इंडिया ने शुरू की तपस्या, कोच की देखरेख में खिलाड़ियों ने दी ‘अग्नि परीक्षा

parmodkumar

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टीम इंडिया इस समय दुबई में है और एशिया कप-2025 में हिस्सा ले रही है। सूर्यकुमार यादव की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने टूर्नामेंट की शुरुआत जीत के साथ की है। पहले मैच में भारत ने यूएई को मात दी और अब वह रविवार को पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच की तैयारी में लग गई है। इस बीच टीम इंडिया का ब्रोनको टेस्ट भी किया गया और ये सब स्ट्रैंग्थ एंड कंडीशनिंग कोच की देखरेख में हुआ।

ब्रोनको टेस्ट को हाल ही में टीम इंडिया में लाया गया है। ये खेलों की दुनिया के सबसे मुश्किल टेस्टों में गिना जाता है। क्रिकेट के अलावा इसे कई और खेल यूज करते हैं, खासकर रग्बी खिलाड़ी। टीम के स्ट्रैंग्थ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियान ले रोक्स ने बताया कि क्यों इस टेस्ट को बीच टूर्नामेंट में कराया गया है।

खिलाड़ियों की स्थिति को परखा

एड्रियान ने बीसीसीआई की वेबसाइट पर जारी वीडियो में बताया, “जो रन हमने आज की वो ब्रोनको रन है। ये कोई नई रन या टेस्ट नहीं है। ये अलग-अलग खेलों में होता है। इस हमने अपने टीम में शामिल किया है। इसके दो यूज हैं। हम इसे ट्रेनिंग के तौर पर भी यूज कर सकते हैं और दूसरा एक टेस्ट के तौर पर भी। खिलाड़ियों की एरोबिक फिटनेस कैसी है इसका हमें अच्छा आइडिया मिल चुका है और इस बात का भी कि हम सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं।”

उन्होंने कहा, “ये एक फील्ड टेस्ट है जो किसी भी जगह हो सकता है, दुनिया के किसी भी मैदान पर। हम लोग सफर बहुत करते हैं तो हम इसे यूज कर सकते हैं। ये खिलाड़ियों को अपने आप को परखने का मौका देता है। ये एक फंक्शनल टेस्ट है जिसे कहीं भी किया जा सकता है।”

काफी बदला है क्रिकेट

एड्रियान का ये टीम इंडिया के साथ दूसरा कार्यकाल है। इससे पहले वह साल 2000 में टीम के साथ थे। उन्होंने कहा है कि बीते दो दशकों में खिलाड़ी जितनी क्रिकेट खेल रहे हैं उसमें काफी बदलाव आया है और उनका गोल खिलाड़ियों को अच्छी स्थिति में रखना है ताकि वह अपनी स्किल्स दिखा सकें।

उन्होंने कहा, “क्रिकेट स्किल का गेम है और हम जो करते हैं उससे इसमें मदद करने की कोशिश करते हैं। हम कोशिश करते हैं कि खिलाड़ियों का करियर बढ़ाने में उनकी मदद कर सकें। अगर आप शारीरिक तौर पर तैयार हैं तो आप ज्यादा सीजन खेल सकते हैं। अगर आप अपना ख्याल रखते हैं तो जो चीजें हम करते हैं उससे चोट की रिस्क को कम किया जा सकता है।”