केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाकर अन्य राज्यों के विधायकों के बराबर करने की बात कही गई थी. बता दें कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिसंबर 2015 में दिल्ली विधानसभा में एक विधेयक पारित कराया था जिसमें विधायकों का मासिक वेतन बढ़ाकर 2.10 लाख रुपये करने का प्रावधान था.
सूत्रों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा विधायकों का मासिक वेतन बढ़ाने से संबंधित विधेयक विधानसभा में पेश करने से पहले संबंधित अधिकारियों की अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए विधेयक निरस्त हो गया.
अभी बने रहेंगे सबसे कम वेतन पाने विधायक
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में विधायक भारत में सबसे कम वेतन पाने वाले विधायक बने रहेंगे. हालांकि मंगलवार यानी आज दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में यह मामला उठाया जा सकता है. यही नहीं, इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार कोई ठोस कदम भी उठा सकती है.
बता दें कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच कई मामलों को लेकर अकसर मतभेद सामने आते रहते हैं. जबकि विधायकों का मासिक वेतन बढ़ाकर 2.10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव खारिज होने के बाद दोनों के बीच तकरार बढ़नी तय है.
‘आप’ और भाजपा के बीच एमसीडी को लेकर जारी है घमासान
इसके अलावा दिल्ली नगर निगम को लेकर केजरीवाल सरकार और भाजपा के बीच घमासान जारी है. वहीं, सोमवार को आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा,’दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी विधानसभा में स्पष्ट किया है कि दिल्ली सरकार को नगर निगमों को एक रुपया नहीं देना है, बल्कि नगर निगमों को ही 6.50 हजार करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को वापस देने हैं. एमसीडी में बैठी भाजपा इसलिए कर्मचारियों को छह-छह महीने वेतन नहीं देती है, ताकि कर्मचारी हड़ताल करें और वे इस बहाने दिल्ली सरकार से पैसे ऐंठ सके. इसके अलावा आप विधायक ने कहा कि अस्पतालों के अंदर डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और एमसीडी के शिक्षकों को इन्होंने महीनों तक तनख्वाह नहीं दी है और उनकी तनख्वाह रोक कर रखते हैं. उनकी तनख्वाह इसलिए रोक कर रखते हैं, ताकि वो लोग दिल्ली के अंदर हड़ताल करें, जगह-जगह कूड़ा फैलाएं. कोरोना के समय में जब एमसीडी के अस्पतालों में किसी कोरोना के मरीज का इलाज न हो. ये लोग ऐसा दिखाए कि डॉक्टरों को तनख्वाह नहीं मिल रही है, इसलिए अस्पताल बंद हैं.