सरसों तेल के दाम में गिरावट, अगर जल्द ही फसल नहीं बेची गई तो किसानों को हो सकता है बड़ा नुकसान।

Parmod Kumar

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सरसों तेल के थोक भाव में गिरावट का दौर जारी है। आयात शुल्क कम किए जाने की अफवाहों के चलते विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम गिरे हैं। इस वजह से पिछले एक सप्ताह में दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सभी प्रमुख तिलहनों के भाव कम हुए हैं। बाजार के सूत्रों के अनुसार सरकार को 10 साल पहले ही सरसों में मिलावट पर रोक लगा देनी चाहिए थी। शायद इसी कारण से देश में सरसों का उत्पादन नहीं बढ़ पाया है। हालांकि, जिस तरह किसानों को सरसों के बेहतर दाम मिल रहे हैं, उससे सरसों की आगामी पैदावार बढ़ने की संभावना है। आठ जून से मिश्रण पर रोक लगने के बाद आयातित तेलों की मांग और दाम में कमी आई है। इस वजह से सरसों दाना, सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी के दाम कम हुए हैं। इस सीजन में सरसों लगातार तय MSP दर के काफी ज्यादा कीमत पर बिक रहा है। इससे किसानों को काफी फायदा हुआ है। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी 4650 रुपए प्रति क्विंटल है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2020-21 में भारत के अंदर 10.43 मिलियन टन सरसों का उत्पादन होगा। भारत इस वक्त हर साल करीब 70,000 करोड़ रुपए का खाने वाला तेल आयात करता है।

किसानों को हो सकता है नुकसान

पिछले सप्ताह, सरसों के भाव में 50 रुपये की गिरावट आई थी। सरसों दादरी तेल का भाव भी 100 रुपये घटकर 14,400 रुपये प्रति क्विन्टल है। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी 15 रुपये कम हुए हैं। सरसों दाना के भाव में आई गिरावट की वजह से किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अब किसानों की आमदनी में कमी आ सकती है। सभी किसानों ने अभी अपनी सरसों की पूरी ऊपज नहीं बेची है। ऐसे में सरसों की कीमतें और कम होने पर किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

बाजार में थोक भाव (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 7,300 – 7,350 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये.

सरसों तेल दादरी- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल.

सरसों पक्की घानी- 2,300 -2,350 रुपये प्रति टिन.

सरसों कच्ची घानी- 2,400 – 2,500 रुपये प्रति टिन.